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चंडीगढ़ में नगर निगम और पर्यावरण विभाग के बीच तकरार की ये है वजह

चंडीगढ़ में इन दिनों नगर निगम और पर्यावरण विभाग निगम के बीच पानी को लेकर तकरार चल रही है. एक तरफ नगर निगम लोगों को 24 घंटे ताजा पानी मुहैया कराने में लगा है तो दूसरी तरफ पर्यावरण विभाग का कहना है कि चंडीगढ़ में पर्याप्त पानी है और अभी इसकी जरूरत नहीं है.

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Published : Jul 28, 2019, 9:16 AM IST

नगर निगम और पर्यावरण विभाग

चंडीगढ़:एक तरफ चंडीगढ़ नगर निगम लोगों को 24 घंटे सप्लाई का ताजा पानी मुहैया करवाने के तैयारी में लगा है. वहीं चंडीगढ़ पर्यावरण विभाग निगम के इस फैसले के खिलाफ है. इस मामले पर पर्यावरण विभाग के निदेशक देवेंद्र दलाई ने कहा कि नगर निगम का यह फैसला सरासर गलत है. क्योंकि चंडीगढ़ को अभी भी जरूरत का पानी मिल रहा है. सुबह और शाम सप्लाई का पानी आता है. जिससे लोगों की सभी जरूरतें आराम से पूरी हो रही हैं. लोगों को अतिरिक्त पानी की जरूरत नहीं है.

नगर निगम और पर्यावरण विभाग के बीच पानी पर तकरार

'चंडीगढ़ में हो रही पानी की बर्बादी'
उन्होंने कहा कि इस समय अभी चंडीगढ़ में पानी की बर्बादी हो रही है. अगर चंडीगढ़ में 24 घंटे पानी की सप्लाई होगी तो उससे पानी की बर्बादी भी बढ़ जाएगी. सिर्फ पेड़ लगाने और पेड़ बचाने से ही पर्यावरण की रक्षा नहीं होगी. बल्कि पर्यावरण को बचाने के लिए हमें अन्य काम भी करने पड़ेंगे.

'बढ़ते वाहनों की संख्या चिंता का विषय'
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में बढ़ते वाहनों की संख्या भी चिंता का विषय है. वाहनों के मामले में चंडीगढ़ सबसे ज्यादा घनत्व वाला शहर है. इसे कम करने का एक ही उपाय है कि लोग कारों का इस्तेमाल कम करें और आपस में मिलकर ही कारों में सफर करें. लोग जब काम पर जाते हैं या शॉपिंग करने जाते हैं या घूमने फिरने जाते हैं तो अकेले न जाकर कई लोगों को साथ लेकर जाएं. इससे ही सड़कों पर कारों की संख्या में कमी आ पाएगी.

'चंडीगढ़ में पॉलिथीन बैन'
इसके अलावा देवेंद्र दलाई ने कहा कि चंडीगढ़ में पॉलिथीन को बैन कर दिया गया है जो कि अच्छी बात है. जो भी दुकानदार पॉलिथीन का इस्तेमाल करता हुआ पाया जाता है प्रशासन की ओर से उसका चालान कर दिया जाता है. चंडीगढ़ में बनने वाले ट्रिब्यून फ्लाईओवर को लेकर प्रशासन पेड़ काटने की तैयारी कर रहा है, जिस पर देवेंद्र दिलाई ने कहा कि फिलहाल उन्हें मामले की जानकारी नहीं है. लेकिन अगर पेड़ों को काटा जाएगा उसकी जगह कई गुना ज्यादा पेड़ लगाए जाएंगे,

उन्होंने कहा कि विकास का मतलब पर्यावरण को नुकसान पहुंचाना बिल्कुल नहीं है, हमें विकास के साथ-साथ पर्यावरण को भी साथ लेकर चलना होगा और वे खुद इस बारे में अधिकारियों से बात करेंगे.

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