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किसानों पर लाठीचार्ज: हुड्डा बोले- 'सरकार किसानों को लहुलुहान करने का बना चुकी है मन'

करनाल में किसानों पर हुए लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) की पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा(Bhupinder Singh Hooda)ने कड़े शब्दों में निंदा की है. हुड्डा ने कहा कि प्रदेश की गठबंधन सरकार किसानों को लहुलुहान करने का मन बना चुकी है. अन्नदाताओं पर ऐसे लाठियां बरसाना अलोकतांत्रिक और अमानवीय है.

Bhupinder Hooda statement on lathi charge
किसानों पर लाठीचार्ज: हुड्डा बोले- 'सरकार किसानों को लहुलुहान करने का बना चुकी है मन'

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Published : Aug 28, 2021, 7:40 PM IST

चंडीगढ़:हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) ने करनाल के बसताड़ा टोल प्लाजा पर किसानों के खिलाफ हुए लाठीचार्ज (karnal farmer lathi charge) की कड़े शब्दों में निंदा की है. हुड्डा ने कहा कि किसान बीजेपी के कार्यक्रम (Karnal BJP meeting) से लगभग 15 किलोमीटर दूर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. बावजूद इसके पुलिस ने वहां जाकर उनपर लाठियां बरसाईं. इससे ये साबित होता है कि सरकार पहले ही किसानों को लहुलुहान करने का मन बना चुकी थी. इस पूरे घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

हुड्डा ने कहा कि अन्नदाता का खून बहाना बीजेपी-जेजेपी सरकार की आदत बन चुकी है. पहले सरकार जान बूझकर टकराव के हालात पैदा करती है और फिर अलोकतांत्रिक, अमानवीय, तानाशाही और क्रूर तरीके से किसानों पर कभी वॉटर कैनल, कभी आंसू गैस तो कभी लाठी-डंडों से हमला कर देती है. ये पहला मौका नहीं है जब सरकारी लाठियों से किसान लहुलुहान हुए हों. इससे पहले भी पीपली, कुंडली, पलवल, हिसार, रोहतक, पंचकूला और सिरसा समेत पूरे हरियाणा में सरकार ने अन्नदाता का खून बहाया है.

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भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि सरकार लोकतंत्र को लठतंत्र बनाने की कोशिश ना करे. लोकतंत्र में लाठी-डंडों के दम पर नहीं, सरकारें लोगों का दिल जीतकर चलाई जाती हैं. सरकार को किसानों के साथ टकराव नहीं, संवाद का रास्ता अपनाना चाहिए. अगर गठबंधन सरकार किसानों का कुछ भला करना और आंदोलन को खत्म करवाना चाहती है तो उसे केंद्र सरकार से बात करनी चाहिए. ताकि किसानों के साथ फिर से बातचीत शुरू हो. सरकार को किसानों की मांगें मानते हुए आंदोलन का सकारात्मक समाधान निकालना चाहिए. लोकतांत्रिक आंदोलन को सरकारी डंडे के दम पर कुचलने की कोशिश निहायत ही निंदनीय है.

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