भिवानी: सेना में भर्ती होने का अरमान लिए भिवानी के एक युवक ने अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली. गांव तालु का रहने वाला 23 वर्षीय मृतक पवन कुमार करीब 9 साल से भारतीय सेना में भर्ती के लिए तैयारी कर रहा था. लेकिन सेना में भर्ती न हो पाने और हरियाणा सरकार में भर्तियां न निकलने से हताश पवन कुमार ने आखिरकार जान दे दी.
इस घटना में सबसे भावुक करने वाली बात ये है कि मृतक ने सुसाइड नोट किसी कागज पर नहीं बल्कि खेल मैदान में दौड़ने वाले ट्रैक पर लिखा. मरने से पहले पवन कुमार ने जमीन पर लिखे सुसाइड नोट में अपने पिताजी से कहा कि इस बार सेना में भर्ती नहीं हुआ, लेकिन पिताजी अगले जन्म में वो फौजी जरूर बनेगा. क्योंकि सेना में भर्ती न निकलने पर उसकी उम्र भी निकल गई और हरियाणा में भर्तियों के फर्जीवाड़े के चलते रोजगार के साधन नहीं मिल रहे थे.
सेना में भर्ती ना हो पाने पर युवक ने लगाई फांसी- खेल के मैदान पर लिखा- पिता जी अगले जनम में फौजी जरूर बनूंगा जानकारी के मुताबिक युवक जिस मैदान में सेना भर्ती के लिए तैयारी कर रहा था उसी मैदान में एक पेड़ पर रस्सी का फंदा लगाकर जान दे दी. आस-पास के लोगों ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. मौके पर पहुंची पुलिस ने भी इस मौत की पुष्टि की. लोगों के मुताबिक युवक ने सेना के तीन भर्ती अभियानों में हिस्सा लिया था और लिखित, फिजिकल और मेडिकल एग्जाम भी पास कर लिया था. लेकिन आखिरी कटऑफ में उसे जगह नहीं मिली थी.
बेरोजगारी की इसी मनोदशा से हताश होकर पवन ने अपनी जीवन लीला समाप्त करने का फैसला किया. उसने आखिरी इच्छा बताने के लिए भी उसी जमीन को चुना जहां वो सेना में भर्ती के लिए तैयारी करता था. उसने खेल मैदान के ट्रैक पर सुसाइड नोट लिखकर दुनिया को अलविदा कह दिया.
पवन का 10 साल से जुनून था आर्मी में जाने का. 15 साल का हुआ तो तैयारी करने लगा था. 8-9 साल से अच्छी तैयारी कर रहा था. लेकिन भर्ती नहीं निकलने से वो निराश हो गया. सरकार से ये निवेदन है कि वो जल्दी भर्ती चालू करे ताकि कोई और युवा गलत कमद ना उठाये. सतीश, मृतक का साथी
पवन की मौत के बाद पूरा गांव सदमे में है. पवन के पिता जसवंत ने कहा कि वो दिनभर दौड़ता रहता था. गांव से खेल का मैदान करीब 24 किलोमीटिर दूर है. वो दौड़ता हुआ जाता है. मैदान में भी दिनभर तैयारी करता रहता था. पवन की मौत पर कई नेताओं ने भी सरकार पर हमला बोला है. भारतीय किसान यूनियन के नेता रवि आजाद ने कहा कि युवाओं को रोजगार नहीं मिलने के कारण इस प्रकार के कदम उठाने पड़ रहे हैं. इसमें सरकार की असफलता है. न्होंने कहा कि न तो 3 साल से आर्मी में भर्ती निकल रही है और ना ही हरियाणा सरकार में. जिसके कारण किसान के बेटे हताश होकर दम तोड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि पवन ने आत्महत्या नहीं की बल्कि उन्होंने युवाओं की आवाज को उठाते हुए अपनी शहादत दी है.