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चौधर की जंग: क्या बंसीलाल के गढ़ में किरण चौधरी को मिल पाएगी चुनौती? - tosham 2014 election vote percentage

ये है ईटीवी भारत की खास पेशकश 'चौधर की जंग'. इस कार्यक्रम में हम आपको हरियाणा की हर विधानसभा सीट का लेखा-जोखा बता रहे हैं. इस बार हम बात करेंगे तोशाम विधानसभा सीट की.

tosham assembly constituency

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Published : Oct 17, 2019, 10:26 PM IST

भिवानी: तोशाम विधानसभा सीट हरियाणा की महत्‍वपूर्ण सीटों में से एक है. अरावली पहाड़ियों के तलहटी में बसा तोशाम हरियाणा की राजनीति का हमेशा से गढ़ रहा है. ये विधानसभा सीट हरियाणा के तीन लालों में से एक चौधरी बंसीलाल और उनके परिवार के नाम से जानी जाती रही है.

चौधरी बंसीलाल का गढ़
हरियाणा के गठन के बाद 1967 में तोशाम विधानसभा सीट अस्तित्व में आई. पहली बार इस विधानसभा सीट से सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री चौधरी बंसीलाल विधायक बने थे. चौधरी बंसीलाल चार बार प्रदेश के मुख्यमंत्री के पद पर रहे. तोशाम विधानसभा सीट पर हरियाणा बनने के बाद अब तक यहां हुए चुनाव में 12 बार चौधरी बंसीलाल के परिवार से ही विधायक बने हैं. 6 बार खुद चौधरी बंसीलाल, 3 बार उनके बेटे सुरेंद्र सिंह और 3 बार सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी.

बंसीलाल परिवार और धर्मबीर सिंह की टक्कर
बंसीलाल के परिवार को यहां केवल भिवानी-महेंद्रगढ़ से मौजूदा बीजेपी सांसद धर्मबीर सिंह ही चुनौती दे पाए हैं. उन्होंने एक बार चौधरी बंसीलाल और एक बार सुरेंद्र सिंह को हराया था. 1987 के चुनाव में धर्मबीर सिंह ने बंसीलाल को हराया था, लेकिन हाईकोर्ट ने बाद में 1991 में एक फैसला सुनाते हुए बंसीलाल को विजयी घोषित किया था.

पति की मौत के बाद किरण चौधरी राजनीति में आई
मार्च 2005 में बंसीलाल के परिवार पर एक कहर टूट पड़ा था. चौधरी बंसीलाल के बेटे सुरेंद्र सिंह की सहारनपुर के पास एक हेलीकाप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी. परिवार पर उस समय विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा था था. सुरेंद्र सिंह की पत्नी किरण चौधरी का 2005 से पहले राजनीति में कोई हस्तक्षेप नहीं था पर पति की मृत्यु के बाद परिवार का गढ़ मानी जाने वाली तोशाम विधानसभा सीट से वो पहली बार उपचुनाव में मैदान में उतरीं.

जानिए क्या हैं इस बार तोशाम विधानसभा सीट के समीकरण.

किरण चौधरी ने बनाया बड़ा रिकॉर्ड
इस उपचुनाव में किसी भी राजनीतिक दल ने उनके सामने कोई प्रत्याशी खड़ा नहीं किया लेकिन चार निर्दलीय उम्मीदवार मैदान में होने के कारण वे निर्विरोध नहीं चुनी जा सकी. इस उपचुनाव में कुल 1,26,648 मतों में से उन्हें 1,25,846 वोट मिले. निकटतम प्रतिद्वंदी निर्दलीय प्रत्याशी को 338 वोट ही मिले थे. किरण चौधरी ने उस उपचुनाव में 99.37 प्रतिशत वोट लिए थे जो अभी तक एक रिकॉर्ड है.

2014 विधानसभा चुनाव के परिणाम
2014 के चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार किरण चौधरी ने इनेलो की कमला रानी को हराया था. किरण चौधरी को 58,218 वोट मिले थे और कमला रानी को 38,477 वोट प्राप्त हुए थे. निर्दलीय उम्मीदवार राजबीर सिंह लाला 38,427 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे थे. बीजेपी प्रत्याशी गुणपाल मात्र 1,822 वोट ले पाए थे और छठे नंबर पर रहे थे.

2019 में क्या हैं समीकरण?
इस बार के विधानसभा चुनाव में भी राजनीतिक विशेषज्ञ यहां से किरण चौधरी की जीत तय मानकर चल रहे हैं, लेकिन साथ ही उलटफेर की से भी इंकार नहीं किया जा रहा है. इसका कारण है हाल ही में हुए लोकसभा चुनाव के परिणाम. लोकसभा चुनाव में भाजपा के धर्मबीर सिंह ने कांग्रेस उम्मीदवार और किरण चौधरी की बेटी श्रुति चौधरी पर तोशाम हलके से 34 हजार की लीड बनाई थी. इस नतीजे ने यहां किरण चौधरी के सारे समीकरण उलट-पलट कर दिए और विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस व किरण चौधरी को नए सिरे से मंथन के लिए मजबूर किया है.

2019 में मतदाता
कुल मतदाता-2,09,063
पुरुष- 1,12,272
महिला- 96,790
ट्रांसजेंडर- 1

2019 में बड़े चेहरे
कांग्रेस की ओर से एक बार फिर किरण चौधरी मैदान में हैं तो बीजेपी ने शशि रंजन परमार को टिकट दिया है. इनेलो ने फिर से कमला रानी को मैदान में उतारा है. वहीं जननायक जनता पार्टी ने सीताराम सिंघल को टिकट दिया है. तो ये था तोशाम विधानसभा सीट का लेखा जोखा. चौधरी बंसीलाल के परिवार की बहू और कांग्रेस की दिग्गज नेता किरण चौधरी को यहां से कोई चुनौती दे पाएगा या एक बार फिर वो यहां से जीत दर्ज कर विधानसभा पहुंचने में सफल रहेंगी. इसका फैसला 24 अक्टूबर को होगा.

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