भिवानी: उन्नीसवीं सदी के मध्यकाल से लेकर 21वीं सदी तक आते- आते महिलाओं ने नए आयाम तय किए. आज की महिलाएं हर क्षेत्र में आगे हैं. बात करें खेल कूद की तो महिलाओं ने इस क्षेत्र में भी अपनी योग्यता प्रदर्शित की और आज के समय में पुरुषों से खुद को आगे पाया. इसका जीवंत उदाहरण हैं भिवानी की महिला मुक्केबाज जिन्होंने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने मुक्कों की घाक दिखाई है.
नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी
हरियाणा के भिवानी जिले में 'मिनी क्यूबा' नाम से चर्चित जमीन पर अब नवोदित महिला मुक्केबाजों की नर्सरी तैयार की जा रही है. जो भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खेलों में जिसके जरिए महिला खिलाड़ी अपने आने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जी जान से जुटी हैं.
भिवानी के बॉक्सर इंडिया को करते हैं रिप्रजेंट
वहीं जब महिला मुक्केबाज दर्शन से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि भिवानी के बॉक्सर इंडिया को रिप्रजेंट करते हैं. इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा बॉक्सिंग महिलाओं के करियर के लिए तो अच्छा है ही, साथ ही महिलाओं के सेल्फ डिफेंस के लिए भी बहुत काम चीज है.
भिवानी बॉक्सिंग क्लब
भिवानी को बॉक्सिंग का गढ़ बनाने में इस क्लब का बड़ा योगदान माना जाता है. इस क्लब ने देश को कई अंतरराष्ट्रीय बॉक्सर दिए हैं.
2012 में महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में किया गया शामिल
आपको बता दें साल 2012 में पहली बार महिला मुक्केबाजी को लंदन ओलंपिक में शामिल किया गया था. बात भिवानी की भिवानी की महिला मुक्केबाजी की करें तो भीम अवॉर्डी और वर्ल्ड एशियन वूमेन मेडलिस्ट पूजा बोहरा, अंतर्राष्ट्रीय बॉक्सर नीरज, नुपुर, विश्व मुक्केबाजी की चैंपियन नीतू घणघस, साक्षी, सोनिया, मोनिका, रीतू ग्रेवाल, मुकेश चहल सहित दो दर्जन से अधिक अंतर्राष्ट्रीय महिला मुक्केबाज भविष्य में होने वाली प्रतियोगिताओं की तैयारियों में जुटी हैं.
- भिवानी के महिला मुक्केबाजों में हैवी वेट मुक्केबाज और अर्जुन अवॉर्डी कविता चहल ऐसा नाम है, जिन्होंने 2012 से 2014 तक सबसे अधिक विश्व रैंकिंग में अपना स्थान रखा और चार बार एशियन मेडलिस्ट रही.
- बात अगर नीतू घणघस की करें तो वो भी 2015, 2017 और 2018 में तीन बार विश्व महिला मुक्केबाजी में मेडल जीत चुकी हैं.
- वहीं साक्षी भी विश्व मुक्केबाजी में मेडलिस्ट हैं
ये हैं भिवानी की स्पोर्ट्स एकेडमी
- भिवानी शहर में स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया में 100 मुक्केबाज
- भीम स्टेडियम में 200 मुक्केबाज
- एबीसी एकेडमी में 400 के लगभग मुक्केबाज
- सीबीसी एकेडमी में 200 के लगभग मुक्केबाज
- कैप्टन हवासिंह बॉक्सिंग अकादमी में 200 के लगभग मुक्केबाज
- फोगाट फैमिली की एकेडमी में 70 बच्चे हैं, जिनमें से 40 लड़कियां हैं
हरियाणा की इन महिलाओं ने खेलकूद में बनाई अंतरराष्ट्रीय पहचान
पहलवान विनेश फोगाट
- विनेश फोगाट के पिता का मर्डर हुआ था, रियो ओलंपिक में ऐसी चोटी लगी कि बिस्तर पर रही, पर बहादुर बेटी का जज्बा कम नहीं हुआ और गोल्ड जीतकर इतिहास रचा. विनेश भिवानी के बलाली गांव निवासी महावीर फोगाट की भतीजी और गीता फोगाट की चचेरी बहन है.
पहलवान गीता फोगाट
- गीता फोगाट भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान हैं. जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था. गीता ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था. साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया.