Geeta Sar इस संसार में समस्त कर्म प्रकृति के गुणों द्वारा ही किए जाते हैं, जो मनुष्य सोचता है कि
जो मनुष्य मन से इन्द्रियों पर नियंत्रण करके आसक्ति रहित होकर निष्काम भाव से समस्त इन्द्रियों के द्वारा कर्म योग का आचरण करता है वही श्रेष्ठ है. यज्ञों के द्वारा प्रसन्न होकर देवता तुम्हें भी प्रसन्न करेंगे और इस तरह सबको संपन्नता प्राप्त होगी. नियत कर्मों के अतिरिक्त किए जाने वाले कार्यों में लगा हुआ मनुष्य कर्मों से बंधता है, इसलिये मनुष्यों को आसक्ति रहित होकर कर्म करना चाहिए. मनुष्य को शास्त्र विधि से नियत किये हुए कर्म करना चाहिए क्योंकि कर्म नहीं करने से शरीर का सुचारू संचालन भी नहीं होगा.Geeta Saar . Friday motivational quotes . Geeta Gyan