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आयुर्वेद से करें थायराइड का उपचार

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Published : Jul 15, 2020, 4:37 PM IST

Updated : Jul 16, 2020, 7:09 PM IST

थायराइड के उचित संचालन न होने से इसका प्रभाव पूरे शरीर पर पड़ता है. थायराइड हार्मोन का निर्माण कर शरीर के कई महत्वपूर्ण कार्यों को नियंत्रित करने में मदद करता है. हाइपरथाइरॉयडिज्म और हाइपोथायरायडिज्म, दोनों ही स्थिति गंभीर है और आयुर्वेद से इसका उपचार संभव है.

Ayurvedic treatment of thyroid
थायराइड का आयुर्वेदिक उपचार

थायराइड दरअसल एक एंडोक्राइन ग्लैंड है, जो तितली के आकार का होता है और ये गले में स्थित है. थायराइड ग्रंथि को अवटु ग्रंथि भी कहा जाता है. अवटु या थायराइड ग्रंथि मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रंथियों में से एक है.

शरीर के मेटाबोलिज्म में थायराइड ग्रंथि का विशेष योगदान होता है. यह थायराइड ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थाइरोकैल्सिटोनिन नामक हार्मोन स्रावित करती है. ये हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज्म दर और अन्य विकास तंत्रों को प्रभावित करता हैं.

  • थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है.
  • शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है.
  • थायराइड ग्लैंड शरीर से आयोडीन की मदद से हार्मोन बनाता है.

कल्पायु हेल्थ केयर, पुणे के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. कल्पेश बाफना ने थायराइड के कारणों और प्राकृतिक उपचार की विस्तार से जानकारी दी है.

थायराइड ग्रंथि में आई गड़बड़ी के कारण थायराइड से संबंधित रोग जैसे हाइपरथाइरॉयडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म होते है. हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज्म एक हार्मोनल डिजीज है, जो किसी को भी हो सकता है. हालांकि महिलाओं में इसकी संभावना ज्यादा होती है. थायरायड गर्दन में एक छोटी ग्रंथि है, जो थायराइड हार्मोन बनाती है. कभी-कभी थायराइड हार्मोन या तो बहुत ज्यादा बनने लगता है या बहुत कम बनता है.

ब्लड जांच से ही पता चलती है बीमारी

शुरूआती स्तर पर पहचान होने पर थायराइड को न सिर्फ आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इससे छुटकारा भी मिल जाता है. थायराइड की जांच ब्लड टेस्ट से की जाती है. ब्लड में टी-3, टी-4 एवं टीएसएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) टेस्ट किया जाता है.

थायराइड होने के कारण

थायराइड से संबंधित बीमारी अस्वस्थ खान-पान और तनावपूर्ण जीवन जीने के कारण होती है. आयुर्वेद के अनुसार, वात, पित्त और कफ के कारण थायराइड संबंधित रोग होता है. जब शरीर में वात एवं कफ दोष हो जाता है, तब व्यक्ति को थायराइड होता है. आप थायराइड का इलाज करने के लिये आयुर्वेदिक तरीकों को आजमा सकते हैं. आयुर्वेदीय उपचार द्वारा वात और कफ दोषों को संतुलित किया जाता है.

थायराइड का उपचार

1.हाइपोथायरायडिज्म

  • स्वस्थ जीवन शैली और खानपान अपनाएं.
  • भारी खाद्य और पेय पदार्थ से बचें.
  • अग्निमांद्य और अजिर्णा के कारणों से बचें.
  • दीपन (क्षुधावर्धक) और पाचन दवाएं लें.
  • स्वेदन (भांप/सेंक) दिया जा सकता है.
  • पंचकर्म शुद्धि प्रक्रियाएं जैसे वमन, विरेचन, बस्ती, नस्य, उद्वर्तनम, शिरोधरा सहायक हैं.

हर्बल दवाएं:

  • वरुणादि कषाय, पुनर्नवादि कषाय
  • कांचनार गुग्गुल, मानसमित्र वटकम्, त्रिफला गुग्गुल, बृहत वात चिंतामणी रस, पुनर्नवादि गुग्गुल
  • सारस्वत घृत

2. हाइपरथाइरॉयडिज्म

  • अपनी जीवन शैली और खानपान को सुधारे.
  • भारी खानपान से दूर रहें.
  • पंचकर्म शुद्धि प्रक्रियाएं जैसे वमन, विरेचन, बस्ती, नस्य, शिरोधरा सहायक हैं.

हर्बल दवाएं:

  • विदार्यादि कषाय
  • द्राक्षादी कषाय, कल्याणक घृत, महातित्तक घृत
  • प्रवाल पिष्टी
  • क्षीरबला तैल

खाने में आयोडीन की कमी या अधिक इस्तेमाल, दवाओं के साइड इफेक्ट्, चिंता या वंशानुगत आदि से थायराइड की समस्या हो सकती है. इसके लिए केमिकल दवाओं और सर्जरी के माध्यम से इलाज किया जाता है. लेकिन इसके अलावा आप आयुर्वेद की मदद से भी थायराइड की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं.

Last Updated : Jul 16, 2020, 7:09 PM IST

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