थायराइड दरअसल एक एंडोक्राइन ग्लैंड है, जो तितली के आकार का होता है और ये गले में स्थित है. थायराइड ग्रंथि को अवटु ग्रंथि भी कहा जाता है. अवटु या थायराइड ग्रंथि मानव शरीर में पाई जाने वाली सबसे बड़ी अन्तःस्रावी ग्रंथियों में से एक है.
शरीर के मेटाबोलिज्म में थायराइड ग्रंथि का विशेष योगदान होता है. यह थायराइड ग्रंथि ट्राईआयोडोथायरोनिन (T3) और थाइरोकैल्सिटोनिन नामक हार्मोन स्रावित करती है. ये हार्मोन शरीर के मेटाबोलिज्म दर और अन्य विकास तंत्रों को प्रभावित करता हैं.
- थायराइड ग्रंथि हमारे शरीर की सभी प्रक्रियाओं की गति को नियंत्रित करता है.
- शरीर में मेटाबॉलिज्म को संतुलित करता है.
- थायराइड ग्लैंड शरीर से आयोडीन की मदद से हार्मोन बनाता है.
कल्पायु हेल्थ केयर, पुणे के आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. कल्पेश बाफना ने थायराइड के कारणों और प्राकृतिक उपचार की विस्तार से जानकारी दी है.
थायराइड ग्रंथि में आई गड़बड़ी के कारण थायराइड से संबंधित रोग जैसे हाइपरथाइरॉयडिज्म या हाइपोथायरायडिज्म होते है. हाइपोथायरायडिज्म और हाइपरथाइरॉयडिज्म एक हार्मोनल डिजीज है, जो किसी को भी हो सकता है. हालांकि महिलाओं में इसकी संभावना ज्यादा होती है. थायरायड गर्दन में एक छोटी ग्रंथि है, जो थायराइड हार्मोन बनाती है. कभी-कभी थायराइड हार्मोन या तो बहुत ज्यादा बनने लगता है या बहुत कम बनता है.
ब्लड जांच से ही पता चलती है बीमारी
शुरूआती स्तर पर पहचान होने पर थायराइड को न सिर्फ आसानी से नियंत्रित किया जा सकता है, बल्कि इससे छुटकारा भी मिल जाता है. थायराइड की जांच ब्लड टेस्ट से की जाती है. ब्लड में टी-3, टी-4 एवं टीएसएच (थायराइड स्टिमुलेटिंग हार्मोन) टेस्ट किया जाता है.
थायराइड होने के कारण