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नियमित व्यायाम प्राकृतिक कारणों से मृत्यु के जोखिम को कम कर सकता है: अध्ययन - death risk

सीएमएजे जर्नल में प्रकाशित एक अध्धयन के अनुसार उच्च स्तर के प्रदूषण वाले क्षेत्रों में भी यदि नियमित रूप से व्यायाम किया जाय तो ना सिर्फ कई तरह की शारीरिक समस्याओं या अस्वस्थताओं के खतरे को कम किया जा सकता है बल्कि प्राकृतिक मृत्यु के जोखिम को भी कम किया जा सकता है। हालांकि निश्चित रूप से कम प्रदूषण वाले क्षेत्र में रहना हर लिहाज से बेहतर होता है।

प्रदूषण, उच्च स्तर का व्यायाम, प्रदूषित वातावरण में व्यायाम
नियमित व्यायाम से प्राकृतिक मृत्यु का जोखिम कम

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Published : Aug 17, 2021, 5:35 PM IST

कैनेडियन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल पत्रिका सीएमएजे में प्रकाशित एक अध्धयन के अनुसार नियमित व्यायाम की आदत हर लिहाज से व्यक्ति में प्राकृतिक कारणों से मृत्यु के जोखिम को कम कर सकती है। भले हो वह ऐसे स्थान पर किया हो जहां वायु में प्रदूषण ज्यादा हो।

इस अध्धयन में हांगकांग के चीनी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता जियांग कियान लाओ ने बताया है की , यूं तो सर्वज्ञात है की वायु प्रदूषण आम तौर पर मृत्यु के जोखिम को बढ़ाता है, लेकिन किसी व्यक्ति की नियमित व्यायाम की आदत उसे ऐसे वातावरण में भी प्राकृतिक मृत्यु के जोखिम से बचा सकती है जहां वायु प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो।

वे बताते हैं की प्रदूषण के चलते लोगों की मृत्यु दर को कम करने के उद्देश्य से लोगों में नियमित व्यायाम की आदत को स्वास्थ्य सुधार रणनीति के रूप में बढ़ावा दिया जाना चाहिए, फिर चाहे व्यक्ति किसी ऐसे स्थान पर ही क्यों न रह रहा हों जहां प्रदूषण का स्तर अपेक्षाकृत ज्यादा हो ।

इस अध्ययन के तहत, शोधकर्ताओं की टीम ने 2001 से 2016 (15 वर्ष) तक ताइवान में 384,130 वयस्कों के स्वास्थ्य की निगरानी की। जिसमें प्राकृतिक कारणों से मृत्यु के जोखिम पर नियमित व्यायाम और सूक्ष्म कणों के लंबे समय तक संपर्क के प्रभावों को समझने की कोशिश की गई।

शोधकर्ता जियांग कियान लाओ बताते हैं की अध्ध्यन में सामने आया की नियमित रूप से उच्च स्तर का व्यायाम करने तथा कम से कम प्रदूषण वाले माहौल के संपर्क में आने वाले लोगों में प्राकृतिक मृत्यु का जोखिम कम रहता है। वहीं ज्यादा प्रदूषित स्थानों पर रहने वाले और नियमित व्यायाम को लेकर उदासीन लोगों में ऐसी मृत्यु का जोखिम ज्यादा होता है। गौरतलब है की इस अध्ययन में अमेरिका, डेनमार्क और हांगकांग में किए गए कई अन्य छोटे अध्ययनों के नतीजों को भी जोड़ा गया , जिसके सामूहिक नतीजों में सामने आया की प्रदूषित क्षेत्रों में भी नियमित व्यायाम फायदेमंद हो सकता है।

वे बताते हैं की "जैसे ही लोग व्यायाम करते हैं, उनकी वेंटिलेशन दर बढ़ जाती है, जिससे लोग ज्यादा मात्रा में वायु प्रदूषकों को ग्रहण कर लेते हैं। ये अवस्था वायु प्रदूषकों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभावों को बढ़ा सकती है। इसी लिये प्रदूषित क्षेत्रों में नियमित रूप से व्यायाम करना कितना सुरक्षित है, यह समझने के लिए वायु प्रदूषण और व्यायाम के बीच जोखिम-लाभ संबंध का आंकलन किया जाना बहुत जरूरी है।

दरअसल, इस अध्धयन के विपरीत कुछ अन्य अध्ययनों यह भी सामने आया है की प्रदूषित वातावरण में व्यायाम करते समय वायु प्रदूषण का असर व्यायाम के लाभों को कम या खत्म कर सकता है। जिससे व्यायाम करने वाले के शरीर पर दीर्घकालिक या अल्पकालिक प्रभाव बीमारी के रूप में नजर आ सकते है।

इस अध्ध्यन में बताया गया है कि वायु प्रदूषण के लंबे समय तक संपर्क में रहने और ऐसे वातावरण में नियमित रूप से व्यायाम की आदत के, मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव को लेकर अभी तक सीमित जानकारी ही मौजूद है ।

इस शोध में लेखक बताते हैं की "हमारे निष्कर्षों की प्रयोज्यता की जांच करने के लिए अधिक गंभीर वायु प्रदूषण वाले क्षेत्रों में आगे के अध्ययन की आवश्यकता है"। "हमारा अध्ययन वायु प्रदूषण के शरीर पर प्रभाव को कम करने के लिये नियमित व्यायाम के महत्व को पुष्ट करता है"।

पढ़ें:बहुत जरूरी है नियमित व्यायाम

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