नई दिल्ली : दांतों में विकृति या जबड़े का टेढ़ापन होने से न सिर्फ खाने पीने में दिक्कत होती है बल्कि मुंह व चेहरा भी असामान्य दिखते हैं. इस समस्या का इलाज किसी भी उम्र में किया जा सकता है, हालांकि, इलाज के लिए सात साल से 18 साल तक की उम्र सबसे उपयुक्त रहती है. इस इलाज में 6 महीने से 3 साल तक का समय लग सकता है. इस इलाज में दांतों पर ब्रेसेस का प्रयोग किया जाता है.
ऑर्थोडॉन्टिक्स ( Orthodontics ) शाखा Dentistry की सुपरस्पेशलिटी है, जिसमें टेढ़े मेढ़े अनियमित दांत ( irregular teeth ) , जबड़े और चेहरे को ठीक किया जाता है. टेढे़-मेढ़े अनियमित दांतों को ठीक करने में ऑर्थोडॉन्टिक ब्रेसेस और उसको दांत पर चिपकाने वाले बॉन्डिंग मैटेरियल का महत्वपूर्ण रोल होता है. वर्तमान में प्रयुक्त होने वाले बॉन्डिंग पदार्थ की अपनी कमियां हैं. हालांकि अब बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ने बॉन्डिंग से जुड़ी एक नई खोज की है. विश्वविद्यालय की खोज को बकायदा अगले 20 वर्षों का पेटेंट भी प्रदान किया गया है.
ऑर्थोडॉन्टिक ब्रेसेस को दांत पर चिपकाने के लिए बॉन्डिंग मैटेरियल का उपयोग होता है. कई मामलों में इलाज के बाद दांतों का आकार तो ठीक हो जाता है, लेकिन उनकी प्राकृतिक चमक या सफेदी नहीं रहती. ब्रेसेस लगे रहने के दौरान दांत साफ करते समय कई जगहों पर ठीक से सफाई नहीं हो पाती, इसके चलते दांतों के बीच कैविटी जमा होने लगती है, जो दांतों की सेहत को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करती है.