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एग फ्रीजिंग: जानकारी के अभाव में पनपती अफवाहे और भ्रम

ज्यादा उम्र में गर्भधारण करने में समस्याएं न हो इसके लिए वर्तमान समय में महिलाओं द्वारा अपने अंडों को फ्रिज करवाने की तकनीक काफी प्रसिद्ध हो रही है। लेकिन जागरूकता के अभाव के चलते इस तकनीक को लेकर लोगों में अफवाहों का दौर गर्म है और उनके मन में कई भ्रम भी है।

myth about egg freezing
एग फ्रीजिंग

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Published : Dec 26, 2020, 9:30 AM IST

क्लाउड नाइन अस्पताल समूह के प्रजनन विभाग में सलाहकार डॉ राम्या गौड़ा बताती हैं की महिलाओ में एग फ्रीजिंग को लेकर रुझान कोई असामान्य बात नहीं है। अलग अलग उम्र की महिलाये इस तकनीक के फायदे को समझ कर इसे अपना रही है , लेकिन समस्या यह है की इस तकनीक को लेकर लोगों में बहुत ज्यादा जानकारी नहीं है। जिसके कारण कई तरह की अफवाहें और भ्रम लोगों में फैल रहें हैं।

एग फ्रीजिंग को लेकर लोगों के मन में व्याप्त डर और भ्रम तथा उनकी सच्चाई के बारे में डॉ राम्या गौड़ा ने विस्तार से जानकारी दी ।

  • पहला भ्रम : एग फ्रीजिंग विधि- परीक्षण त्रुटि विधि या कोई प्रयोग

वर्तमान समय में वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा डेटा दोनों के ही अनुसार यह एक सुरक्षित तथा असरदर तकनीक है. एग फ्रीजिंग तकनीक परीक्षण त्रुटि विधि नहीं बल्कि कई लोगों की जांची अपनाई चिकित्सीय विधि है. एग फ्रीजिंग के लिए उपयोग में आने वाली तकनीक जैसे डिंबग्रंथि उत्तेजना, अंडा पुनर्प्राप्ति तथा क्रायोप्रेजेरवेशन जैसी प्रक्रियाएं बिल्कुल सुरक्षित हैं.

  • भ्रम #2 : एंड फ्रीजिंग क्या महिलाओं और बच्चों के लिए खतरनाक है? और क्या फ्रिज किए गए अंडों से बच्चे पैदा हो पाते है ?

इसका कोई साक्ष्य नहीं है की डिंबग्रंथि उत्तेजना तथा एग फ्रीजिंग के कारण भविष्य में महिलाओं के गर्भ धारण करने में समस्या या फिर फ्रिज किए गए अंडे से पैदा हुए बच्चे में कोई कमी, असमानता , रोग, उनके क्रोमोजोम में समस्या या गर्भावस्था में परेशानी जैसी समस्या उत्पन्न हुई हों. ऐसे किसी भी प्रकार के आंकड़े अभी तक संज्ञान में नहीं आए हैं की जहां पूर्व में जमा होने वाले अंडों से पैदा होने वाले बच्चों तथा सामान्य तरीके से जन्म लेने वाले बच्चों में किसी भी प्रकार का अंतर नजर आया हो.

लेकिन यहां यह जानना भी जरूरी है की पूर्व में जमा किए गए अंडों यानि फ्रोजन एग पद्दती के कारण एक निर्धारित आयु तक संतानप्राप्ति के मौके बढ़ तो जाते है लेकिन यह पद्दती शत प्रतिशत सफल हो ऐसा जरूरी नहीं है.

  • भ्रम#3 यह प्रक्रिया दर्दकारी तथा लंबा समय लेने वाली है

सबसे पहले यह जानना जरूरी है की यश प्रक्रिया होती क्या है. जमा किए गए अंडे को गर्भ में स्थापित करने से पहले 8 से 11 दिन तक दिन में एक या दो बार हरमोन के इंजेक्शन दिए जाते है. इस समयावधि में महिला के स्वास्थ्य को लगातार मॉनिटर किया जाता है, जिसके उपरांत गर्भ में एण्ड निषेचन के लिए सर्जरी की जाती है. इस प्रकार की सर्जरी में शरीर के किसी भी हिस्से को काटा या सिला नहीं जाता है और इसमें सिर्फ पंद्रह मिनट का समय लगता है. इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में केवल दो सप्ताह का समय लगता है.

  • भ्रम#4 वर्तमान में अंडों को जमा करवाने से भविष्य में बांझपन की समस्या हो सकती है

कई लोग मानते हैं की अंडों को भविष्य के लिए जमा करवाने वाली महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर असर पड सकता है तथा उसके शरीर में प्रजनन के लिए जरूरी अंडों की संख्या में कमी आ सकती है और साथ ही वह बांझपन का शिकार भी बन सकती है. यहां यह जानना जरूरी की महिलाएं प्रतिमाह आंडोतसर्ग यानि ओवयुलेट करती है अर्थात उनके शरीर में हर माह अंडों का निर्माण होता है.

वहीं अंडों को फ्रिज करवाने की प्रक्रिया में के दौरान महिलाओं को ऐसी दवाइयां दी जाती हैं. जिनसे उनके शरीर में सामान्य से ज्यादा अंडों का निर्माण हो, तो यह सोचना की इस प्रक्रिया को अपनाने वाली महिलाओं को भविष्य में मां बनने में परेशानी होगी , बिल्कुल गलत है.

  • भ्रम#5 गर्भधारण के लिए जमा किए गए अंडों से बेहतर महिलाओं के शरीर में उत्पन्न होने वाले ताजे अंडे होते है

इस तकनीक की मदद से गर्भधारण करने वाली महिलाओं की गर्भावस्था, शिशु का जन्म तथा उसका स्वास्थ्य बिल्कुल वैसा ही होता है जैसा प्राकृतिक तरीके से गर्भधारण करने वाले शिशुओं का होता है. लेकिन इस प्रक्रिया की सफलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करती है की अंडों को किस उम्र में जमा करवाया गया है. यदि महिलाएं अपने अंडे को फ्रिज करवाना चाहती है तो बहुत जरूरी है की जल्दी से जल्दी करवा ले. क्योंकि जितनी कम उम्र में एग फ्रिज करवाए जाएंगे उनका स्वास्थ्य उतना ही बेहतर होगा तथा भविष्य में उन अंडों से सरलता से गर्भधारण किया जा सकेगा.

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