हमारे देश में होली का त्योहार हर उम्र और वर्ग के लोग आनंद और उत्साह के साथ मनाते हैं। रंगीन चटक गुलाल, पानी से भरी पिचकारी और नाना प्रकार के स्वादिष्ट व्यंजन इस उत्सव के उत्साह को दोगुना कर देते हैं। फाग या जिसे रंग वाली होली कहते हैं, से पहले दिन छोटी होली मनाई जाती है। एक और जहां फाग का दिन रंगों से सरोबार रहता है, वहीं छोटी होली के दिन पूजा पाठ का आयोजन किया जाता है। होली और फाग या जिसे दुल्हेंडी भी कहा जाता है, दोनों को मनाए जाने के पीछे अलग-अलग कहानियां हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि होली का त्योहार ना सिर्फ हमारे मानसिक स्वास्थ्य बल्कि हमारे आसपास के वातावरण को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। ETV भारत सुखीभवा अपने पाठकों के साथ सांझा कर रहा है होली से जुड़ी कहानियां, और साथ ही साथ होली का त्योहार किस तरह से हमें प्रभावित करता है, इससे जुड़ी जानकारी।
क्यों मनाते हैं होली?
छोटी होली की कहानी आमतौर पर सभी लोग जानते हैं। कहा जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के भक्त प्रहलाद को मारने के लिए उसकी बुआ होलिका ने नन्हे प्रहलाद को लेकर अग्नि में प्रवेश किया था। होलिका के पास एक चुनरी थी, कहा जाता है होलिका को वरदान प्राप्त था कि यदि वह उस चुनरी को पहनकर अग्नि में प्रवेश करेगी, तो अग्नि उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगी। छोटी होली के दिन भी होलिका उसी चुनरी को पहनकर प्रहलाद को गोद में लेकर अग्नि में प्रवेश करती है, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से वह चुनरी उड़ कर प्रहलाद के ऊपर गिर जाती है, जिससे प्रहलाद का जीवन बच जाता है, लेकिन होलिका का दहन हो जाता है। इसीलिए बुराई पर अच्छाई की जीत बनाने के लिए हर साल छोटी होली के दिन लोग होलिका दहन करते हैं।
वहीं माना जाता है कि एक बार भगवान कृष्ण ने अपनी माता यशोदा से शिकायत की कि राधा हमेशा उन्हें उनके सांवले रंग के लिए चिढ़ाती है। बच्चों की इस लड़ाई को हंसी ठिठोली में निपटाते हुए मां यशोदा ने कृष्ण को उपाय सुझाया की क्यों ना वह राधा को रंगों से सरोबार कर दें। मां की बात सुनकर कृष्ण ने राधा को अलग-अलग रंग के रंगों से रंग दिया। बस इसी के बाद से फाग मनाएं जाने की शुरुआत हो गई। होली के त्योहार को श्रीकृष्ण से जोड़कर देखा जाता है, इसलिए आज भी मथुरा, वृंदावन और उनके आसपास के इलाकों में होली की एक अलग ही धूम होती है।
कोरोना काल में ऐसे मनाएं होली
वर्तमान समय में कोरोना की गंभीरता को देखते हुए बहुत जरूरी है कि सुरक्षा नियमों का पालन किया जाए। जहां तक संभव हो होली खेलने से बचें, और यदि होली मनाते भी है, तो बहुत छोटे समूहों में एकत्रित हो। होली के दिन इन खास बातों को ध्यान में रखकर संक्रमण से बचने का प्रयास किया जा सकता है।
⦁ कोशिश करें दूर से रंग गुलाल उड़ाए किसी से भी गले मिलने या हाथ मिलाने से बचें।
⦁ ऐसे लोगों से दूरी बनाकर रखें, जो बीमार हो या जिनमें खांसी या जुखाम जैसी समस्या नजर आ रही हो।
⦁ रंग खेलते समय आंख या मुंह पर हाथ लगाने से बचें।