सियोल: एक अध्ययन से पता चला है कि डायबिटीज से पीड़ित व्यक्तियों में कम मांसपेशी द्रव्यमान हृदय रोग ( Heart Diseases ) से मृत्यु के दोगुने जोखिम से जुड़ा होता है. अध्ययन से पता चला कि एसोसिएशन कमजोरी, ग्लाइसेमिक नियंत्रण और माइक्रोवैस्कुलर जटिलताओं रेटिनोपैथी (रेटिना की रक्त वाहिकाओं को नुकसान) और नेफ्रोपैथी (गुर्दे की बीमारी) से स्वतंत्र है. सरकोपेनिया - उम्र से संबंधित मांसपेशियों और ताकत की हानि - को डायबिटीज वाले व्यक्तियों में हृदय रोग (सीवीडी) और मृत्यु दर से जुड़ा हुआ माना जाता है.
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि यह रिश्ता उनके रक्त शर्करा नियंत्रण या उनके मधुमेह की जटिलताओं से किस हद तक प्रभावित हो रहा था. यूरोपियन एसोसिएशन फॉर द स्टडी ऑफ डायबिटीज (ईएएसडी) की हालिया वार्षिक बैठक में प्रस्तुत शोध से पता चला है कि कम मांसपेशी द्रव्यमान वाले लोगों में सामान्य मांसपेशी द्रव्यमान वाले लोगों की तुलना में फॉलो-अप के दौरान मरने की संभावना 44 प्रतिशत अधिक है.
सामान्य मांसपेशी द्रव्यमान वाले लोगों की तुलना में सीवीडी से मरने की संभावना दोगुनी है. आगे के विश्लेषण से पता चला कि एचबीए1सी (रक्त शर्करा नियंत्रण का एक उपाय) और माइक्रोवैस्कुलर जटिलताओं के बावजूद, कम मांसपेशी द्रव्यमान सर्व-मृत्यु दर और सीवीडी मृत्यु दर से जुड़ा हुआ है. दक्षिण कोरिया गणराज्य के सियोल में हैलीम विश्वविद्यालय से डॉ. शिंजे मून व डॉ. जे म्युंग यू ने कहा, "हमारे नतीजे बताते हैं कि डायबिटीज से पीड़ित जिन लोगों की मांसपेशियां कम होती हैं, उनमें मृत्यु का खतरा कमजोरी, खराब रक्त शर्करा नियंत्रण या माइक्रोवस्कुलर जटिलताओं के कारण नहीं, बल्कि मांसपेशियों के नुकसान के कारण होता है." उन्होंने यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता पर बल दिया कि सरकोपेनिया मृत्यु के जोखिम को कैसे बढ़ाता है. उन्होंने कहा, इस बीच, "मोटापे का इलाज करते समय और मधुमेह वाले लोगों में वजन का प्रबंधन करते समय शरीर की संरचना पर विचार करना महत्वपूर्ण है."