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लॉकडाउन: 'नहीं हुई बिक्री तो स्टेशनरी छोड़ लगानी पड़ेगी सब्जी की दुकान'

स्टेशनरी और खिलौने के व्यापारी दरबान सिंह रावत ने कहा कि बेशक लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद दुकान खोल दी है. लेकिन दुकानदारी कुछ भी नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से काम चल रहा है. इसमें गुजारा करना मुश्किल होगा.

impact on stationary shop
स्टेशनरी की दुकान

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Published : Jun 2, 2020, 12:12 PM IST

नई दिल्ली: देश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ते जा रहा है. वहीं अब लॉकडाउन में सरकार की ओर से ढील के बाद दुकानें खुलने लगी है. लेकिन स्टेशनरी - खिलौने के व्यापारियों का कहना है कि बेशक दुकान खुल गई है, लेकिन काम कुछ भी नहीं हो रहा है.

दुकानदार ने बताई परेशानी


'ऐसे ही हालात रहे तो बंद दुकान करनी पड़ेगी'

स्टेशनरी और खिलौने के व्यापारी दरबान सिंह रावत ने कहा कि बेशक लॉकडाउन में ढील मिलने के बाद दुकान खोल दी है. लेकिन दुकानदारी कुछ भी नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि जिस तरह से काम चल रहा है. इसमें गुजारा करना मुश्किल होगा. साथ ही कहा कि लॉकडाउन के दौरान दुकान बंद थी. लेकिन कमर्शियल मीटर होने की वजह से बिल अधिक आया है. जिससे कि इस दौरान बिल जमा करने में काफी परेशानी होगी. उन्होंने कहा कि ऐसा लग रहा है कि अब इस काम को बंद कर सब्जी बेचने का काम शुरू करना पड़ेगा. जिससे कि कम से कम रोजी-रोटी तो चला करेगी.

मध्यमवर्गीय परिवार पर ही पड़ी सबसे अधिक मार
वहीं उन्होंने कहा कि इस दौरान किसी भी प्रकार से सरकार की ओर से कोई सुविधा नहीं मिली है. लॉकडाउन के दौरान घर चलाना काफी मुश्किल हो रहा था. यहां तक कि राशन भी सरकार की ओर से लोगों को दिया जा रहा था, वो भी हम लोगों को नहीं मिला है. ऐसे में इस दौरान सबसे अधिक मार मध्यमवर्गीय लोगों को ही पड़ी है.


लॉकडाउन में दुकानदारी हुई ठप
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान बेशक छात्रों को ऑनलाइन पढ़ाया जा रहा था. लेकिन कोरोना की डर की वजह से कोई भी अपने घर से बाहर नहीं निकल रहा था. अब जब ढील दी गई है, तो अब भी दुकान सूनी है. कोई भी किसी भी प्रकार की कॉपी, कलम या खिलोने खरीदने के लिए नहीं आता है. पूरे दिन में एक या दो ही रजिस्टर बिक पाता है. वहीं उन्होंने सरकार से बिजली के बिल में रियायत की मांग की है.

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