नई दिल्ली: मेडिकल फील्ड को नियंत्रित और नियमित करने के लिए इंडियन सिविल सर्विस (Indian Civil Service) की तर्ज पर इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की मांग मेडिकल प्रोफेशनल्स ने तेज कर दी है. फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) ने यह मांग कोरोना महामारी के दौरान ब्यूरोक्रेट्स द्वारा गलत नीतियां बनाने से हो रही समस्याओं की वजह से उठायी है. इनकी मांग का समर्थन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (Indian Medical Association) ने भी किया है.
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन (Federation of All India Medical Association) के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर रोहन कृष्णन ने इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की सख्त जरूरत बताते हुए केंद्र सरकार से मांग की है. उन्होंने बताया कि इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) में वही अधिकारी होंगे जो इस फील्ड को अच्छी तरीके से जानते होंगे. वह अच्छे नीति निर्माता हो सकते हैं, लेकिन गैर प्रोफेशनल व्यक्ति जब एडमिनिस्ट्रेशन में आते हैं तो फिर कन्फ्यूजन पैदा होती है और मेडिकल प्रोफेशनल को उनके तहत काम करने में परेशानी होती है. इन्हीं सब परेशानियों को लेकर एम्स के डॉक्टर इंडियन मेडिकल सर्विस (Indian Medical Service) की मांग तेज कर दी है.
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डॉ. रोहन कृष्णन ने बताया कि जिस तरीके से आईएएस, आईपीएस एक निर्धारित सिस्टम के तहत काम करते हैं उस तरीके से हेल्थ सिस्टम काम नहीं कर पा रहा है. क्योंकि हेल्थ सिस्टम को चलाने के लिए एडमिनिस्ट्रेशन की आवश्यकता होती है. इस सिस्टम में जो लोग भी होते हैं वो नॉन मेडिकल फील्ड के होते हैं, जिन्हें हेल्थ सिस्टम में काम करने का अनुभव नहीं होता है, कन्फ्यूजन यहीं पैदा होती है. अगर एडमिनिस्ट्रेशन में कोई डॉक्टर होगा तो वह दूसरे डॉक्टर की समस्या और दुख तकलीफों को अच्छी तरीके से समझ सकता है. जब तक ऐसा नहीं होगा तब तक यह सिस्टम ठीक से काम नहीं कर सकता है.
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