नई दिल्ली:देश के सबसे बड़े अस्पताल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(AIIMS) की झज्जर ब्रांच में कोविड-19 मरीजों के लिए डायलिसिस की व्यवस्था शुरू हो गई है. जिन कोविड मरीजों को डायलिसिस की आवश्यकता होगी, वो यहां से करवा सकते हैं. यह सुविधा फिलहाल सिर्फ कोविड मरीजों के लिए ही की गई है.
झज्जर स्थित एम्स में कोरोना मरीजों के लिए शुरू हुई डायलिसिस सुविधा कोमोरबिडिटी मरीजों के लिए ज्यादा जानलेवा
आपको बता दें किजिन मरीजों को किडनी संबंधित कोई बीमारी हो तो उन्हें कोमोरबिडिटी कंडीशन मन जाता है. कोमोरबिडिटी का मतलब उन लोगों से है, जिन्हें पहले से कोई गंभीर बीमारी है. जैसे डायबिटीज़, ब्लड प्रेशर, अस्थमा, फेफड़े की बीमारी, एचआईवी, कैंसर जैसी गंभीर बीमारी है. ऐसे मरीजों के लिए कोविड इंफेक्शन जानलेवा साबित होता है. इन्हें समय पर डायलिसिस मिलनी चाहिए. अगर इसमें देरी होती है तो मरीजों के लिए यह जानलेवा साबित होता है.
सर्कुलर के बाद डायलिसिस शुरू
दिल्ली में ऐसे कई कोविड मरीजों की समय पर डायलिसिस नहीं मिलने की वजह से मौत हो गई. एलएनजेपी अस्पताल 2 हाजर बेड की क्षमता वाला सबसे बड़ा कोविड अस्पताल है, जहां डायलिसिस की एक अलग यूनिट है. फिर भी यहां मरीजों को डायलिसिस समय पर नहीं मिलने से मौत हो गई. बाद में स्वास्थ्य विभाग ने इसे संज्ञान में लिया और एक सर्कुलर जारी कर किडनी के मरीजों के लिए तुरंत डायलिसिस करने का आदेश जारी किया, तब से वहां यह सुविधा शुरू की गई.
5% मरीजों को गंभीर किडनी इंज्यूरी का खतरा
एम्स के डॉक्टर डॉ. अमरिंदर सिंह ने एक स्टडी के हवाले से बताया कि 5 फीसदी कोविड मरीजों में गंभीर किडनी इंज्यूरी का खतरा होता है. इनसे मरीजों की तुरंत डायलिसिस की आवश्यकता होती है. ये मरीज अब एम्स में डायलिसिस करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि हमारे नर्सिंग ऑफिसर नंदभंवर सिंह ने इमरजेंसी में ऐसे मरीजों को डायलिसिस देने के लिए क्वारंटाइन छोड़कर घर से 500 किलोमीटर की यात्रा कर सेंटर पहुंचे. दो कोविड मरीजों को तत्काल डायलिसिस की जरूरत थी.