नई दिल्ली: आम तौर पर कोई भी अस्पताल समय के साथ जब विकास करता है तो उसमे बिस्तरों की संख्या के साथ ही अन्य कई सुविधाओं में बढ़ोतरी होती है, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निमहांस के तर्ज पर बने इंस्टीटयूट ऑफ़ ह्युमन बिहैबियर एंड एलाएड साइंसेज में मामला जरा उल्टा है. यहां पिछले दस साल में बिस्तरों की संख्या बढ़ने के बजाए घटकर लगभग आधी हो गई है. हालांकि अस्पताल के निदेशक इसे अस्पताल की कमी के बजाए खासियत मानते हैं.
शाहदरा मेंटल हॉस्पिटल को जब इंस्टीटयूट ऑफ़ ह्युमन बिहैबियर एंड एलाएड साइंसेज में तब्दील किया गया था. तब इसमें बिस्तरों की संख्या को 500 करने का प्रस्ताव था, लेकिन 27 साल के जीवन काल में ये अस्पताल कभी भी अपने उस क्षमता के आस पास भी नहीं पहुंच पाया है. अपने उत्कर्ष काल में भी इसमें केवल 330 बिस्तर ही फंक्शनल हो पाए थे. लेकिन उसके बाद से इसमें बिस्तरों की संख्या लगातार कम होती गई और आज अस्पताल केवल 180 बिस्तरों की क्षमता के साथ काम कर रहा है.
निष्क्रिय पड़ा है न्यूरो सर्जरी विभाग
बता दें कि इहबास पूर्वी दिल्ली में न्यूरोलोजी का एकमात्र सरकारी अस्पताल है. जहां पूर्वी दिल्ली के साथ ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश से भी बड़ी संख्या में मरीज आते हैं. लेकिन यह डॉक्टरों के अभाव में लगभग निष्क्रिय हो रखा है. डॉक्टरों का कहना है कि इसकी वजह विभाग में डॉक्टरों की कमी है. विभाग में 6 की जगह केवल दो ही फैकल्टी हैं, वो भी एक असोसिएट प्रोफ़ेसर और एक असिस्टेंट प्रोफ़ेसर हैं. जबकि न्यूरो एनेस्थीसिया विभाग में भी 6 की बजाए एक ही फैकल्टी है. इसकी वजह से अस्पताल में 2 बेड क्षमता का आईसीयू, 10 वार्ड और ओटी निष्क्रिय पड़ा हुआ है.