नई दिल्ली:दिल्ली सरकार में मंत्री सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए इस केस में सह आरोपी वैभव जैन और अंकुश जैन के वकील ने गुरुवार को ईडी की जांच पर सवाल उठाए हैं. सुशील गुप्ता ने कहा है कि जो लोग मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल है, ईडी उन्हीं के बयानों को आधार बनाकर जांच आगे बढ़ा रही है. गुप्ता ने 2 गवाहों के बयान पर पढ़कर कोर्ट को सुनाया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि गवाहों के बयान में यह साफ है कि वह सत्येंद्र जैन (Satyendra Jain bail) को नहीं जानते हैं. ऐसे में उन्होंने किस तरह बताया कि नकदी किसके द्वारा दी गई थी, जबकि वह लोग सत्येंद्र जैन को पहचानते भी नहीं है. गुप्ता ने कोर्ट से कहा की एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग में शामिल सभी लोगों को अपना गवाह बना लिया है और उन पर आंखें बंद कर विश्वास कर रही है. क्या यह सही है? गुप्ता की दलील के बाद कोर्ट ने कार्यवाही स्थगित कर दी. शुक्रवार को जैन की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन अपना जवाब दाखिल करेंगे.
इससे पहले बुधवार को सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका पर राउस एवेन्यू कोर्ट में अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल एस वी राजू ने ईडी का पक्ष रखते हूए कोर्ट से कहा था की 40-50 बार सत्येंद्र जैन ने हवाला ऑपरेटर को नगद मुहैया कराया हैं. पीएमएलए एक्ट की धारा 50 के तहत गलत जानकारी देना अपराध है. सत्येंद्र जैन लगातार गलत जानकारी दे रहे हैं, जो की IPC 199 के तहत दंडनीय है. ऐसे में जैन को जमानत न दी जाए. एस वी राजू ने सत्येंद्र जैन की पत्नी पूनम जैन का बयान पढ़ कर कोर्ट को सुनाया. पन्कुल अग्रवाल का बयान भी कोर्ट में पढ़ा गया. आगे एस वी राजू ने कहा की जैन ने बोगस लोगो को कंपनी का काम काज सौंपा था. पन्कुल अग्रवाल भी उसी में से एक था. जैन और उनका परिवार और परिचित लूट कर रहे थे. कंपनी के फर्जी डायरेक्टर बना दिये गए थे और जैन कंपनी को पीछे से चला रहे थे. मनी लॉन्ड्रिंग का इससे बेहतर उदाहरण अभी तक देखने को नही मिला है. यह मामला एक करोड़ रुपये से अधिक की मनी लॉन्ड्रिंग का है, ऐसे में जमानत न दी जाए.