नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सिविल लाइन स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा व्यवस्था को प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में बांट दिया गया. सरकारी स्कूलों में जो 75 सालों में नहीं हुआ वह अब हो रहा है. जिस देश में बच्चे शिक्षित नहीं होते उस देश का विकास नहीं हो सकता है.
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं सरकारी और बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में जाता हूं. आज यहां के बच्चों ने जो परफॉर्मेंस दी वह किसी भी बड़े स्कूल के बच्चों से कम नहीं था. शिक्षा हमारी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है और यह हमारी आईडियोलॉजी का हिस्सा है. बिना शिक्षा के किसी भी देश का विकास नहीं हो सकता. दुर्भाग्य से पिछले 75 वर्षों में हमारे देश में दो तरह की शिक्षा प्रणाली शुरू की गई. जिन लोगों के पास पैसे हैं उनके लिए प्राइवेट स्कूल और जिन लोगों के पास पैसे नहीं है वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने को मजबूर हुए. ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूल हमेशा खराब होते थे.
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आजादी के बाद करीब 25 साल का सफर उठाकर देखिए जितने बड़े-बड़े लोग हैं. पॉलिटिशियन, आईएएस ऑफिसर व अन्य लोग सभी सरकारी स्कूलों से आते थे. जब देश आजाद हुआ तब गिने चुने प्राइवेट स्कूल हुआ करते थे. लेकिन ऐसा क्या हुआ जो 75 साल में सरकारी स्कूल खराब होते गए और प्राइवेट स्कूल बढ़ते गए. लोग एक रोटी कम खाकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहते थे.
सरकारी स्कूलों का पतन इतनी तेजी से हुआ कि जब हमारी सरकार बनी तब स्कूलों के प्राइवेटाइजेशन का माहौल चल रहा था. जिनके पास पैसा है, उसे शिक्षा मिलेगी जिनके पास पैसा नहीं है, उसे शिक्षा नहीं मिलेगी. अगर किसी देश में किसी गरीब को शिक्षा नहीं मिलेगी तो देश कभी तरक्की नहीं कर सकता. हमारे देश में गरीब और लोअर मिडल क्लास के लोगों की संख्या ज्यादा है. और वे शिक्षा पर बहुत ज्यादा पैसे नहीं खर्च कर सकते हैं. पिछले 8 साल में हमने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किया है. पहले जो बच्चे सरकारी स्कूल में जाया करते थे. उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी होती थी. अभी दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के अंदर कॉन्फिडेंस की कमी नहीं है.
दिल्ली के सरकारी स्कूलों में करीब 18 लाख बच्चे पढ़ते हैं जब हम उनके पैरेंट्स से बातचीत करते हैं, तो पता चलता है कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के अंदर प्राइवेट स्कूल के बच्चों से ज्यादा कॉन्फिडेंस है. इस ऑडिटोरियम जिसका आज उद्घाटन हुआ है इस ऑडिटोरियम के कई मायने हैं. यह सिर्फ चहारदीवारी नहीं है. आज सरकारी स्कूलों में जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया गया है, वह प्राइवेट स्कूलों के अंदर भी नहीं हैं. पिछले कुछ सालों में सरकारी स्कूलों के अंदर मॉडर्न लाइब्रेरी, लेबोरेट्री आदि की सुविधाएं दी जा रही हैं.