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सरकारी स्कूलों में जो 75 सालों में नहीं हुआ वह अब हो रहा है: अरविंद केजरीवाल

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 11, 2023, 3:54 PM IST

Updated : Dec 11, 2023, 7:17 PM IST

CM Arvind Kejriwal: दिल्ली के सिविल लाइन स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में सोमवार को ऑडिटोरियम का उद्घाटन करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि सरकारी स्कूलों में जो 75 सालों में नहीं हुआ वह अब हो रहा है.

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नई दिल्ली: मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को सिविल लाइन स्थित डॉ भीमराव अंबेडकर स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस में ऑडिटोरियम का उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने कहा कि आजादी के बाद शिक्षा व्यवस्था को प्राइवेट और सरकारी स्कूलों में बांट दिया गया. सरकारी स्कूलों में जो 75 सालों में नहीं हुआ वह अब हो रहा है. जिस देश में बच्चे शिक्षित नहीं होते उस देश का विकास नहीं हो सकता है.

मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि मैं सरकारी और बड़े-बड़े प्राइवेट स्कूलों में जाता हूं. आज यहां के बच्चों ने जो परफॉर्मेंस दी वह किसी भी बड़े स्कूल के बच्चों से कम नहीं था. शिक्षा हमारी सरकार का सबसे महत्वपूर्ण सेक्टर है और यह हमारी आईडियोलॉजी का हिस्सा है. बिना शिक्षा के किसी भी देश का विकास नहीं हो सकता. दुर्भाग्य से पिछले 75 वर्षों में हमारे देश में दो तरह की शिक्षा प्रणाली शुरू की गई. जिन लोगों के पास पैसे हैं उनके लिए प्राइवेट स्कूल और जिन लोगों के पास पैसे नहीं है वह अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में भेजने को मजबूर हुए. ऐसा नहीं है कि सरकारी स्कूल हमेशा खराब होते थे.

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आजादी के बाद करीब 25 साल का सफर उठाकर देखिए जितने बड़े-बड़े लोग हैं. पॉलिटिशियन, आईएएस ऑफिसर व अन्य लोग सभी सरकारी स्कूलों से आते थे. जब देश आजाद हुआ तब गिने चुने प्राइवेट स्कूल हुआ करते थे. लेकिन ऐसा क्या हुआ जो 75 साल में सरकारी स्कूल खराब होते गए और प्राइवेट स्कूल बढ़ते गए. लोग एक रोटी कम खाकर अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में पढ़ना चाहते थे, लेकिन सरकारी स्कूल में नहीं भेजना चाहते थे.

सरकारी स्कूलों का पतन इतनी तेजी से हुआ कि जब हमारी सरकार बनी तब स्कूलों के प्राइवेटाइजेशन का माहौल चल रहा था. जिनके पास पैसा है, उसे शिक्षा मिलेगी जिनके पास पैसा नहीं है, उसे शिक्षा नहीं मिलेगी. अगर किसी देश में किसी गरीब को शिक्षा नहीं मिलेगी तो देश कभी तरक्की नहीं कर सकता. हमारे देश में गरीब और लोअर मिडल क्लास के लोगों की संख्या ज्यादा है. और वे शिक्षा पर बहुत ज्यादा पैसे नहीं खर्च कर सकते हैं. पिछले 8 साल में हमने शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किया है. पहले जो बच्चे सरकारी स्कूल में जाया करते थे. उनके अंदर कॉन्फिडेंस की कमी होती थी. अभी दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के अंदर कॉन्फिडेंस की कमी नहीं है.

दिल्ली के सरकारी स्कूलों में करीब 18 लाख बच्चे पढ़ते हैं जब हम उनके पैरेंट्स से बातचीत करते हैं, तो पता चलता है कि आज दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बच्चों के अंदर प्राइवेट स्कूल के बच्चों से ज्यादा कॉन्फिडेंस है. इस ऑडिटोरियम जिसका आज उद्घाटन हुआ है इस ऑडिटोरियम के कई मायने हैं. यह सिर्फ चहारदीवारी नहीं है. आज सरकारी स्कूलों में जो इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया गया है, वह प्राइवेट स्कूलों के अंदर भी नहीं हैं. पिछले कुछ सालों में सरकारी स्कूलों के अंदर मॉडर्न लाइब्रेरी, लेबोरेट्री आदि की सुविधाएं दी जा रही हैं.

सरकारी स्कूलों के प्रधानाचार्य को अमेरिका यूरोप समेत अन्य देशों में ट्रेनिंग के लिए भेजा जा रहा है. जिससे कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था को और सुधार किया जा सके. अब दिल्ली के सरकारी स्कूलों की गिनती देश के गिने चुने स्कूलों में होती है. जो सुविधाएं दिल्ली के स्कूलों में मिलती हैं, शायद ही वह किसी स्कूल में मिलती हो. हाल ही में मैं पंजाब के अमृतसर में स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का उद्घाटन करके आया.

पंजाब में 20 हजार सरकारी स्कूल हैं. दिल्ली में 1 हजार सरकारी स्कूल हैं. पंजाब के सभी स्कूलों में कुछ न कुछ काम हो रहा है. 75 सालों में जो काम होना चाहिए था, वह अब हो रहा है. अब कोई सरकारी पार्टी यह नहीं कह सकती कि यह नहीं हो सकता. जो पार्टी स्कूल नहीं चला सकती वह सरकार क्या चलाएगी. स्कूल चलाना, स्वास्थ्य सेवाएं देना यह बेसिक जिम्मेदारी है. लाखों करोड़ों रुपए का टैक्स हम इसलिए देते हैं कि हमें अच्छी शिक्षा, चिकित्सा और बिजली-पानी मिले. इस दौरान दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी और शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहे.

आतिशी बोलीं- हमारे सरकारी स्कूलों ने प्राइवेट स्कूलों को पीछे छोड़ा

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने शानदार ऑडिटोरियम के उद्घाटन पर विद्यार्थियों अभिभावकों व शिक्षकों को बधाई देते हुए कहा कि आज इस ऑडिटोरियम की बिल्डिंग को देखकर लग रहा है कि हमारे सरकारी स्कूल की बिल्डिंग ने बड़े-बड़े मल्टीप्लेक्स को भी पीछे छोड़ दिया है.

मैं खुद दिल्ली के एक प्राइवेट स्कूल से पढ़ी हूं. मैं आपको शत प्रतिशत स्योरिटी के साथ कह सकती हूं कि दिल्ली के किसी भी सरकारी स्कूल में इस तरह का आलीशान ऑडिटोरियम नहीं मिलेगा. 8 साल पहले जब अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री बने थे तो दिल्ली में भी सरकारी स्कूलो का वही हाल होता था जो देश भर में है. सरकारी स्कूल से जो इमेज आती है. खिड़कियां टूटी हुई हैं, बेंच टूटी हुई है पीने का पानी नहीं है, क्लासरूम में टीचर नहीं है. यह इमेज इसलिए बनी है क्योंकि कहीं ना कहीं यह सच्चाई रही है.

लेकिन 2015 से अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ने दिल्ली के बच्चों के लिए जो सपना देखा वह साकार हो रहा है. पिछले कई सालों से स्कूलों और बच्चों के रिजल्ट में काफी सुधार आया, लेकिन फिर भी कहीं ना कहीं सरकारी स्कूल के बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी लगती थी. लेकिन आज यहां पर बच्चों की कल्चरल परफॉर्मेंस देखकर मैं यह बात दावे से कह सकती हूं कि हमारे सरकारी स्कूल के बच्चों ने प्राइवेट स्कूल के बच्चों को कॉन्फिडेंस में भी पीछे छोड़ दिया है. आने वाले 10-15 साल में इन्हीं बच्चों का नाम हम हेडलाइंस में देखेंगे. इस देश को आगे लेकर जाने में इन बच्चों का इंपॉर्टेंट योगदान होगा.


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Last Updated : Dec 11, 2023, 7:17 PM IST

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