नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में बुधवार को नियम 280 के तहत एक बार फिर सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले गेस्ट टीचरों का मुद्दा उठा. नेता प्रतिपक्ष रामवीर सिंह बिधूड़ी ने दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत गेस्ट टीचरों को नियमित करने तथा उनका वेतन बढ़ाने के मामले का मुद्दा विधानसभा अध्यक्ष के सामने रखा. उन्होंने कहा कि स्कूलों में कार्यरत 22,000 गेस्ट टीचरों को नियमित करने का अनेक बार वायदा किया गया था. दिसंबर 2021 में तात्कालीन उप-मुख्यमंत्री की ओर से भी इन गेस्ट टीचरों का वेतन बढ़ाने की घोषणा की गई थी, जिसे मुख्यमंत्री ने भी बयान देकर मंजूरी दी थी. इसके बावजूद आज तक दिल्ली सरकार ने इन गेस्ट टीचरों को न तो नियमित किया है और न ही इनका वेतन बढ़ाया है, जिसे बच्चों का भविष्य संवारने वाले इन शिक्षकों के साथ अन्याय कहा जाएगा.
उन्होंने कहा कि पूरे देश में दिल्ली ही एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां शिक्षकों को दिहाड़ी के हिसाब से वेतन दिया जाता है. दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत 22,000 गेस्ट टीचरों को नियमित किये जाने के नाम पर शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गयी फाइल ही पिछले 6 सालों से गायब है. मुख्यमंत्री से अनुरोध है कि अपने वायदे के मुताबिक दिल्ली सरकार के स्कूलों में कार्यरत सभी गेस्ट टीचरों को जल्द से जल्द नियमित किया जाए और उनके वेतन में वृद्धि की जाए. हालांकि, इस मुद्दे पर आप विधायकों ने ऐतराज जताया और हंगामा भी हुआ.
वित्त मंत्री ने कसा तंजः गेस्ट टीचरों के मुद्दे पर वित्त मंत्री कैलाश गहलोत और शिक्षा मंत्री ने जवाब दिया. मंत्री कैलाश ने कहा कि भाजपा को गेस्ट टीचरों से कुछ भी लेना देना नहीं है. इन्हें बस इस मुद्दे पर राजनीतिकरण करना है. उन्होंने कहा कि यहां बैठे सभी सदस्यों को पता है कैबिनेट डिसिजन हुआ, एलजी ने सारी चीजें रोकी है. यह सरासर गलत है, इनका पढ़ाई लिखाई से कुछ भी लेना देना नहीं है. ऊपर से नीचे से तक अनपढ़ों की जमात बैठ गई है. इस बीच हंगामा भी होने लगा.