नई दिल्ली: कोरोना महामारी के चलते हुए लॉकडाउन में कई लोगों का रोजगार चला गया. खास तौर पर घरों में काम करने वाले घरेलू सहायक जो लॉकडाउन में पूरी तरीके से बेरोजगार हो गए. क्योंकि कोरोना के डर के कारण ना तो वह लोग किसी के घर काम करने जा पा रहे थे, और ना ही लोग उन्हें बुला रहे थे. लेकिन अब जब स्थिति अनलॉक हो गई है उसके बाद भी लोग घरेलू सहायिकाओ को अपने घर पर काम पर बुलाने से डर रहे हैं.
अनलॉक में घरेलू सहायिकाओं के हालात पर स्पेशल रिपोर्ट घरेलू सहायिकाओ को नहीं मिल रहा रोजगार ईटीवी भारत ने घरों में काम करने वाले लोगों की मौजूदा स्थिति को लेकर एक खास रिपोर्ट तैयार की है. जिसमें ऐसे लोगों से बात की गई जिन्होंने लॉकडाउन में घरेलू सहायिका को काम पर बुलाना बंद कर दिया था, और अब अनलॉक हो जाने के बाद कुछ लोगों ने बुलाना शुरू किया है, वहीं कुछ लोग अभी भी कोरोना के डर के कारण उन्हें नहीं बुला रहे हैं. और अपना काम खुद कर रहे हैं. ऐसे में घरों में काम करने वाले इन लोगों के रोजगार पर क्या कुछ असर पड़ा है वह जानते हैं.
केवल साफ सफाई के लिए घरेलू सहायिकाओं को बुला रहे लोग
भारती नाम की महिला ने बताया कि लॉकडाउन में उन्होंने अपने घर पर खाना बनाने वाली और साफ सफाई करने वाली घरेलू सहायिका को काम पर आने के लिए मना कर दिया था. लेकिन जब अनलॉक हुआ तो खाना बनाने के लिए उन्होंने किसी भी घरेलू सहायिका को नहीं बुलाया है, लेकिन साफ सफाई के लिए वह घरेलू सहायिका को अपने घर बुला रही हैं.
छात्रों को भी हुई बड़ा परेशानी
इसके अलावा पीजी में रहने वाले छात्र यश प्रताप ने कहा कि उनके घर पर खाना बनाने के लिए घरेलू सहायिका आती थी, लेकिन लॉकडाउन में उसने आना बंद कर दिया था, तो काफी परेशानी हुई जैसे तैसे कर काम चलाया. जिसके बाद अब उसको नहीं बुला रहे हैं क्योंकि आर्थिक रूप से भी परेशानी है इसलिए अपना काम खुद कर रहे हैं.
अनलॉक हो जाने के बाद घरेलू सहायिका को बुलाना शुरू किया
इसके साथ ही कालकाजी इलाके में रहने वाली डॉक्टर विमल शारदा ने कहा कि उनके घर में खाना बनाने वाली और साफ सफाई करने वाली घरेलू सहायिका लॉकडाउन से पहले घर पर आती थी. लेकिन लॉकडाउन में उन्होंने उसे बुलाना बंद कर दिया और अपने सभी काम खुद ही कर रहे थे, उनके घर में चार लोग हैं और सभी बुजुर्ग हैं, इसीलिए घरेलू सहायिका को बुलाने से डर भी लग रहा था. लेकिन जब स्थिति अनलॉक हुई तो धीरे-धीरे घरेलू सहायिका को बुलाना शुरू किया है, क्योंकि अगर बात उनके रोजगार की की जाए तो वह पूरी तरीके से हम लोगों पर ही निर्भर करते हैं. उनके पास अपना रोजगार कमाने का कोई और साधन नहीं होता. इसीलिए कुछ कामों के लिए घरेलू सहायिका को बुलाना शुरू किया है. हालांकि इसके लिए सभी सावधानियां बरत रहे हैं जब घरेलू सहायिका काम के लिए घर में आती है तो हम लोग केवल एक ही रूम में बैठ जाते हैं, और वह साफ सफाई करके चली जाती है, घर में प्रवेश से पहले उसे सैनिटाइजेशन के लिए कहा जाता है और एक अलग से ड्रेस भी दी हुई है. जिसे पहनकर ही वह घर में प्रवेश करती है और मास्क लगाकर काम करती है.
अभी हर कोई काम पर नहीं बुला रहा
इसके साथ ही गोविंदपुरी इलाके में अलग-अलग घरों में काम करने वाली घरेलू सहायिका अनु ने कहा कि उनके घर में चार लोग हैं उनके पति मजदूरी करते हैं, घर में छोटी बच्ची है इसीलिए कोरोना में घर से बाहर जाने में डर लग रहा है. लेकिन काम करना भी जरूरी है इसीलिए सावधानी के साथ हो लोगों के घरों में काम करने के लिए जाती हैं, लॉकडाउन में काम बंद हो गया था काफी परेशानी उस वक्त उन्हें आई थी, लेकिन अब धीरे-धीरे काम मिलना शुरू हुआ है.
सिर्फ साफ सफाई के लिए बुला रहे लोग
इसके साथ ही अन्य घरेलू सहायिका राम कांति ने कहा कि वह अकेली कमाने वाली हैं, उनके पति नहीं हैं. घर में बच्चियां हैं और भी परिवार के सदस्य हैं, लॉकडाउन में काम पूरी तरीके से बंद हो गया था. और अब 7 महीने गुजर जाने के बाद एक तारीख से वह उन्होंने एक घर में काम पर जाना शुरु किया है, लेकिन अभी केवल एक ही घर में काम और जा रहीं हैं, अभी बाकी घरों में लोग काम पर नहीं बुला रहे हैं, वो केवल एक ही घर में साफ सफाई के लिए जा रही हैं.