नई दिल्ली:दिल्ली कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष और तीन बार की सीएम रहीं शीला दीक्षित के निधन के बाद कांग्रेस में शोक का माहौल है. दिल्ली में विधानसभा चुनाव करीब है, लेकिन शीला दीक्षित के निधन के बाद पार्टी की चुनौतिंयां और बढ़ गई हैं.
कांग्रेस आला कमान ने शीला दीक्षित पर भरोसा जताते हुए पार्टी की कमान अजय माकन से लेकर उन्हें सौंप दी थी, लेकिन उनके ना होने से पार्टी के अध्यक्ष पद को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.
गुटबाजी का दौर शुरू
जिस तरीके से लोकसभा चुनाव से पहले अजय माकन दिल्ली कांग्रेस कमेटी का नेतृत्व कर रहे थे, लेकिन उसके बाद शीला दीक्षित को दिल्ली फिर से संवारने की जिम्मेदारी दी गई, लेकिन पार्टी के अंदर लागातार गुटबाजी का दौर जारी रहा, जिसका खामयाजा पार्टी को लोकसभा चुनाव के दौरान उठाना पड़ा.
लोकसभा चुनाव में जो परिणाम रहे उसके बाद उन्होंने एक कमेटी बनाकर यह निर्णय लिया कि जमीनी स्तर से काम शुरू किया जाए. शीला दीक्षित के निधन के बाद पार्टी में गुटबाजी फिर बढ़ सकती है, क्योंकि पार्टी को दिल्ली के अध्यक्ष पद की भी नियुक्ति करनी है.
गठन के लिए हाईकमान को पत्र
शीला दीक्षित ने विधानसभा चुनाव में मजबूती लाने के लिए पार्टी हाईकमान को हाल ही में एक पत्र लिखा था. जिसमें उन्होंने कहा था कि पिछले 6 साल से पार्टी की कार्यकारिणी में बदलाव नहीं किया गया है और जिस तरीके से लोकसभा चुनाव में परिणाम रहे. उसके बाद जरूरी है कि हम अब कार्यकारिणी का गठन दोबारा से करें. जिसमें उन लोगों को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाए जो कि बेहतर काम करते हैं.