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'देवांगन कलीता के बारे में जारी प्रेस नोट, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की नीयत से नहीं'

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Published : Jul 15, 2020, 7:05 PM IST

पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगन कलीता के मामले में दिल्ली पुलिस ने जवाब दाखिल करते हुए कहा कि देवांगना कलीता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की नीयत नहीं थी. विवादित नोट प्रेस रिलीज का हिस्सा था .

Devangana Kalita
देवांगना कलीता

नई दिल्ली: पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगन कलीता के मामले में दिल्ली पुलिस ने जवाब दाखिल करते हुए कहा कि देवांगना कलीता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की नीयत नहीं थी. विवादित नोट प्रेस रिलीज का हिस्सा था .

देवांगन कलीता

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कहा कि पिंजरा तोड़ संगठन की कार्यकर्ता देवांगन कलीता के बारे में विवादित प्रेस नोट उसकी प्रतिष्ठा पर किसी तरह के हमले के इरादे से जारी नहीं किया गया था. बल्कि उस प्रक्रिया में सुधार के लिए था जिसके जरिए संस्थान पर आरोप लगाकर उसकी विश्वसनीयता को खतरे में डाला जा रहा था. क्राइम ब्रांच ने ये बातें आज दिल्ली हाईकोर्ट में कही.


'जनसंपर्क अधिकारी ने किया था शेयर'

क्राइम ब्रांच ने हाईकोर्ट से कहा कि विवादित नोट किसी खास मीडिया के साथ शेयर नहीं किया गया था. बल्कि यह प्रेस रिलीज का हिस्सा था जो व्हॉट्सएप के जरिए पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ने सारी मीडिया के साथ शेयर किया था. क्राइम ब्रांच ने कहा कि इस प्रेस नोट के जरिये याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था.

दिल्ली पुलिस को लगाई थी फटकार

दरअसल हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच की ओर से दायर हलफनामे पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी. जस्टिस विभू बाखरु की बेंच ने कहा कि हमने जो हलफनामा मांगा था वह हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा था कि हलफनामे में किसी भी व्यक्ति को सूचनाएं लीक करने का जिम्मेदार नहीं माना गया है. यह हमारे पिछले आदेश के रिकॉर्ड में है. कोर्ट ने कहा था कि हमने अपने आदेश में संबंधित डीसीपी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. हम ये जानना चाहते थे कि प्रेस नोट आधिकारिक तौर पर जारी किया गया था कि ये किसी की सोची समझी योजना थी.

हलफनामा मीडिया को शेयर करने पर आपत्ति

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने पुलिस के हलफनामे को मीडिया में प्रसारित करने पर आपत्ति जताई थी. पुजारी ने कहा था कि जब इस मामले पर पहले से अंतरिम आदेश है तो पुलिस ऐसा कैसे कर सकती है. तब कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए था.

'नागरिकों और पत्रकारों को जानने का हक'

पिछले 7 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने अपना जवाब दाखिल किया था. जिसमें दिल्ली पुलिस ने कहा था कि नागरिकों और पत्रकारों का ये अधिकार है कि वे ये जानें कि समाज में क्या हो रहा है. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि देवांगना ने मीडिया कैंपेन चलाकर आम लोगों की सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की. ऐसा कर कलीता ने निष्पक्ष ट्रायल में बाधा डालने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 2 जून को जो संक्षिप्त नोट जारी किया गया वो आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार के तहत था. राजनीतिक अभियान चलाया जा रहा था कि पुलिस एक खास समुदाय को निशाना बना रही है. इस परिस्थिति में लोगों को जानकारी देना जांच एजेंसी के लिए जरूरी था.

दिल्ली पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की

पिछले 11 जून को दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो देवांगना कलीता या किसी दूसरे आरोपी के खिलाफ दर्ज एफआईआर से संबंधित आरोपों और साक्ष्यों से संबंधित सूचना किसी व्यक्ति, मीडिया या सोशल मीडिया से साझा नहीं करें. देवांगना कलीता के खिलाफ दिल्ली पुलिस ने चार एफआईआर दर्ज की हैं. दो एफआईआर जाफराबाद थाने में दर्ज की गई हैं. जबकि एक एफआईआर क्राईम ब्रांच ने दरियागंज थाने में दर्ज की थी.

खास सूचनाएं लीक करने का आरोप

कलीता ने याचिका दायर कर कहा है कि क्राइम ब्रांच ने आरोपों के संबंध में कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक कर रही है. कलीता की ओर वकील अदीत एस पुजारी ने कहा कि ऐसी सूचनाएं लीक कर ट्रायल को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है. उन्होंने कहा कि असम में कलीता के खिलाफ एक खास खबर छापी गई जिससे कलीता और उसके परिवार वालों की जान खतरे में पड़ गई है.


कलीता न्यायिक हिरासत में है

कलीता फिलहाल न्यायिक हिरासत में है. उसे दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने पिछले 2 जून को उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा को लेकर दर्ज एक मामले में जमानत दे दिया था. देवांगना कलीता पिंजरा तोड़ संगठन से जुड़ी हुई हैं. लेकिन उसके बाद क्राईम ब्रांच ने उसे दूसरे एफआईआर के मामले में गिरफ्तार कर लिया था. कलीता पर आरोप है कि उसने पिछले 22 फरवरी को जाफराबाद मेट्रो स्टेशन के पास सड़क जाम करने के लिए लोगों को उकसाया था. बता दें कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में 53 लोग मारे गए थे और करीब दो सौ लोग घायल हो गए थे.

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