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Delhi NCR में Pollution से आफत, कई इलाकों का Red Zone में AQI

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Published : Nov 21, 2022, 11:39 AM IST

दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) यानी एनसीआर में प्रदूषण फिर बढ़ गया है. हवा की गुणवत्ता बताने वाला सूचकांक यानी Air quality Index अधिकतर जगह अभी 'खराब' श्रेणी में है और आशंका जताई जा रही है कि ये हवा ‘बेहद खराब’ हो सकती है. यहां चेक करें AQI

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नई दिल्ली: दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण स्तर में सोमवार को भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. एनसीआर के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर रेड जोन (Red Zone 300-400 AQI) में दर्ज किया गया है. सुबह एनसीआर के कई इलाकों धुंध की चादर भी देखने को मिली है. प्रदूषण में हुई बढ़ोतरी के कारण लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

दिल्ली के अलीपुर, शादीपुर, आईटीओ, सीरीफोर्ट, मंदिर मार्ग, आरके पुरम, पंजाबी बाग, नेहरू नगर, पटपड़गंज, अशोक विहार, सोनिया विहार, जहांगीरपुरी, रोहिणी, नजफगढ़, नरेला, बवाना, मुंडका, आनंद विहार आदि का प्रदूषण स्तर रेड ज़ोन में दर्ज किया गया है.


दिल्ली-एनसीआर के प्रमुख इलाकों का प्रदूषण स्तर:

आरके पुरम:- 318
सिरी फोर्ट:- 306
आईटीओ, दिल्ली:- 3399
अलीपुर, दिल्ली:- 324
पंजाबी बाग, दिल्ली:- 331
पूसा, दिल्ली:- 269
नेहरू नगर, दिल्ली:- 359
अशोक विहार, दिल्ली:- 323
लोनी, गाज़ियाबाद:- 267
इंदिरापुरम, गाज़ियाबाद:- 185
सेक्टर 62, नोएडा:- 324
सेक्टर 116, नोएडा:- 273
सेक्टर 125, नोएडा:- 187

एयर क्वालिटी इंडेक्स:(Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो और डायआक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.

घर पर तैयार करें कॉटन मास्क:- जो लोग अधिकतर समय खुले में बिताते हैं उन्हें प्रदूषण काफी नुकसान पहुंचाता है. ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए उपाय करना भी बेहद जरूरी है. खुले भी अधिकतर समय बिताने वाले लोग घर में कॉटन का 4 लेयर का मास्क तैयार कर सकते हैं. जिसे गीला करके वह अपने चेहरे पर लगा सकते हैं. जिससे कि पार्टिकुलेट मैटर सास के रास्ते शरीर में प्रवेश नहीं कर पाते हैं. गीला होने के चलते पार्टिकुलेट मैटर मास्क में चिपक जाते हैं. हालांकि मार्च को समय-समय पर धोने की आवश्यकता होती है.

बाहर निकलने से करें परहेज:- सुबह और शाम लोग टहलने जाते हैं. खासकर बुजुर्ग और बच्चे शाम के वक्त पार्कों में दिखाई देते हैं. प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्ग और बच्चों को होता है. जब प्रदूषण का स्तर सामान्य से काफी अधिक हो तो घर के बाहर जाने से बचें. खासकर वह लोग जिन की प्रतिरोधक क्षमता कम है. बच्चों और बुजुर्गों को भी बाहर जाने से परहेज करना चाहिए. एक्सरसाइज आदि भी घर के अंदर करें.

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