नई दिल्ली:आगामी लोकसभा चुनाव के चलते आचार संहिता लगते ही लाइसेंसी हथियार पुलिस जमा कर रही है, लेकिन अवैध हथियारों को पकड़ना और उनसे होने वाली घटना को रोकना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती होगी. इसके लिए क्या कुछ खास कर रही दिल्ली पुलिस? पढ़ें खबर में...
राजधानी में चुनाव के दौरान अवैध हथियार का इस्तेमाल ना के बराबर होता है लेकिन इसके बावजूद दिल्ली पुलिस ने अवैध हथियारों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया है. स्पेशल सेल से लेकर क्राइम ब्रांच तक की टीमों ने अवैध हथियारों की तस्करी करने वालों पर नजर रखी हुई है.
पुलिस के पास जमा करना पड़ता है हथियार
लाइसेंसिंग विभाग के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि प्रत्येक चुनाव से पहले राजधानी में उन लोगों से हथियार जमा करवाये जाते हैं जिन्होंने पुलिस से इसका लाइसेंस लिया हुआ है.
चुनाव के दौरान इन खास वजहों से रख सकते हैं लाइसेंसी हथियार किसको दी जाती है हथियार रखने की छूट?
दिल्ली में लगभग 6 हजार लोगों के पास लाइसेंसी हथियार हैं. इन लोगों को नोटिस भेजा जा रहा है और उन्हें अपने लोकल थाने में हथियार जमा कराना है. अधिकारी ने बताया कि अगर किसी की जान को ज्यादा खतरा हो तो उसे विशेष परिस्थितियों के तहत हथियार रखने की छूट दी जाती है, लेकिन इसके लिए पहले क्षेत्र के डीसीपी जांच करवाते हैं.
चुनाव से 10 दिन पहले तक जमा करना है हथियार
अधिवक्तादीपक त्यागी के पास बीते 10 सालों से हथियार का लाइसेंस है. उन्होंने बताया कि आचार संहिता लागू होने के बाद थाने से बीट अधिकारी उनके पास आता है और हथियार जमा कराने के लिए कहता है. चुनाव तिथि के 10 दिन पहले तक इस हथियार को गोलियों सहित थाने में या किसी हथियार की दुकान पर जमा कराना होता है. अगर ऐसा नहीं किया जाए तो उस शख्स के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाती है. उन्होंने बताया कि चुनाव परिणाम आने के 3 दिन बाद यह हथियार वापस मिल जाता है.
इन जगहों से आते हैं अवैध हथियार
डीसीपी जी. रामगोपाल नाइक ने बताया कि दिल्ली एनसीआर में होने वाले अपराध के दौरान कई बार अवैध हथियार इस्तेमाल किए जाते हैं. इन हथियारों को लेकर पूरे साल भर पुलिस टीम छापेमारी कर तस्करों को गिरफ्तार करती है. इससे यह पता चला है कि हथियार मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के जिला बुरहानपुर, खरगोन और धार से आते हैं. इनके अलावा बिहार के मुंगेर और यूपी के मेरठ से भी बड़ी मात्रा में दिल्ली एनसीआर के बदमाश हथियार खरीदते हैं.
दो से तीन हजार के कट्टे 15 से 20 हजार में ले रहे बदमाश
डीसीपी जी.रामगोपाल नाइक ने बताया कि मध्य प्रदेश में हथियार बनाने वाले अधिकांश गैंग घने जंगल वाले इलाकों में हथियार तैयार करते हैं. वो तैयार किया गया देशी कट्टा दो से तीन हजार रुपये में तस्करों को बेच देते हैं. यह तस्कर दिल्ली-एनसीआर के बदमाशों को 15 से 20 हजार रुपये में कट्टा बेचते हैं.
यही वजह है कि आजकल झपटमार से लेकर चोर और छोटे बदमाश भी कट्टा रखने लगे हैं. डीसीपी नाइक ने बताया कि बेहतरीन गुणवत्ता की पिस्तौल यह तस्कर 40 से 50 हजार रुपये जबकि कार्बाइन एक लाख रुपये तक में बदमाशों को बेचते हैं.