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मैक्स अस्पताल में लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस दे रहा है हृदय रोगियों को नई जिंदगी

मैक्स अस्पताल के कार्डियोवैस्कुलर सर्जन ने बताया कि एलवीएडी एक ऐसा उपकरण है, जो कम उम्र में होने वाले हार्ट फेलियर का सामना कर रहे लोगों के जीवन में 13 से 15 साल जोड़ता है. एलवीएडी मशीन के भीतर लगा इम्प्लांट 1 मिनट में हजारों बार घूमता है. जिससे बिना रुके लगातार शरीर में ब्लड सप्लाई होती रहती है.

heart patients in max hospital
मैक्स अस्पताल

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Published : Oct 3, 2020, 8:30 AM IST

नई दिल्ली: लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस (एलवीएडी) हृदय रोगियों को नई जिंदगी दे रहा है. इस मशीन के लगाए जाने के बाद इंसान बिना धड़कन के भी जिंदा रह सकता है. एलवीएडी इंसान की हथेली के आकार की एक मशीन है. जिसमें एक तार लगा होता है, जो बाहरी चार्ज की हुई बैटरी से जुड़ा होता है.

लेफ्ट वेंट्रिकुलर एसिस्ट डिवाइस दे रहा है हृदय रोगियों को नई जिंदगी.
नई जिंदगी दे रही ये मशीनसाकेत स्थित मैक्स अस्पताल के कार्डियोवैस्कुलर सर्जन डॉक्टर केवल कृष्ण ने बताया कि एलवीएडी एक ऐसा उपकरण है, जो कम उम्र में होने वाले हार्ट फेलियर का सामना कर रहे लोगों के जीवन में 13 से 15 साल जोड़ता है. ये एक अस्थाई उपाय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. जब तक ह्रदय रोगियों को ऑर्गन डोनर ना मिल जाए.

उन्होंने बताया कि अभी तक मैक्स अस्पताल में एक दर्जन से ज्यादा एलवीएडी प्रत्यारोपित किए गए हैं. जिसमें 7 साल की बच्ची से लेकर 81 साल की महिला मरीज शामिल है. जिनमें से 4 मरीज इम्प्लांट के 5 साल बाद भी सामान्य जीवन जी रहे हैं.


बैटरी के सहारे चलती है जिंदगी


एलवीएडी मशीन इंसान की हथेली के आकार की होती है. जिसमें एक तार लगा होता है, जो बाहरी चार्ज की हुई बैटरी से जुड़ा होता है. मशीन के भीतर लगा इम्प्लांट 1 मिनट में हजारों बार घूमता है. जिससे बिना रुके लगातार शरीर में ब्लड सप्लाई होती रहती है. जिसका साफ मतलब है कि इस मशीन का प्रयोग कर रहे इंसानों में दिल की धड़कन या ब्लड प्रेशर नहीं होता है. उनकी जिंदगी बैटरी के सहारे चलती है.

सामान्य जिंदगी जी रहे मरीज


लेफ्ट वेंट्रिकुलर असिस्ट डिवाइस लगाने के बाद मरीज सामान्य जिंदगी जी रहे हैं. ऐसी ही एक मरीज 50 वर्षीय नीलम सोढ़ी ने बताया कि वो मैक्स अस्पताल की पहली मरीज थी, जिन्हें एलवीएडी लगाया गया था. कई साल से उन्हें सांस लेने में गंभीर समस्या और खांसी की शिकायत थी, जिसके बाद उन्हें कार्डियक अरेस्ट हुआ था. उनका दिल अपनी क्षमता का केवल 20% काम कर रहा था और हार्ट डोनर मिलने में मुश्किल हो रही थी. इसलिए उन्हें एलवीएडी लगाया गया था.

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