नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (Municipal corporation of delhi) चुनाव 4 दिसंबर को होगा. सोमवार से चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी शुरू हो गई, लेकिन चाहे आम आदमी पार्टी हो, भारतीय जनता पार्टी हो या कांग्रेस, किसी ने भी अभी तक अपने प्रत्याशियों के नाम की घोषणा नहीं की है.
इस पर नगर निगम मामलों के जानकार व स्थायी समिति के पूर्व सदस्य जगदीश ममगाई ने बताया कि दिल्ली सरकार और नगर निगम के अधिकार आपस में ओवरलैप करते हैं. इसलिए अक्सर देखने में आता है कि अगर दोनों जगहों पर अगर अलग-अलग राजनीतिक दलों की सरकार है तो उनके बीच 36 का आंकड़ा रहता है और उनके बीच फंड को लेकर हमेशा खींचतान लगी रहती है. उदाहरण के तौर पर दिल्ली नगर निगम और दिल्ली सरकार दोनों ही सड़कों और नालों का रख-रखाव करती है. अंतर यह है कि 60 फीट से कम चौड़ी सड़कें एमसीडी संभालता है और उससे अधिक चौड़ी सड़कों को दिल्ली सरकार.
वहीं, बड़े मोटर वाली गाड़ियों को दिल्ली सरकार का परिवहन विभाग लाइसेंस देता है, तो एमसीडी साइकिल-रिक्शा और हाथगाड़ी को डील करता है. शिक्षा के क्षेत्र में भी एमसीडी प्राइमरी स्कूलों का संचालन करता है और दिल्ली सरकार हायर स्कूल, कॉलेज और प्रोफेशनल एजुकेशन मुहैया कराती है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में एमसीडी कई डिस्पेंसरी के साथ कुछ अस्पताल चलाता है और दिल्ली सरकार बड़े और स्पेशलाइज्ड अस्पतालों को मैनेज करती है.
तीन से एक हुई एमसीडी का पहला चुनाव अहम: ममगाई ने बताया कि तीनों नगर निगमों के एक होने के बाद पहली बार 250 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं. इससे पहले पूर्वी दिल्ली नगर निगम, दक्षिणी दिल्ली निगम और उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कुल 272 वार्ड थे. अब एकीकरण के बाद कुल सीटों की संख्या 250 कर दी गई है. दिल्ली नगर निगम की सत्ता में पिछले 15 सालों से बीजेपी का राज था, इसलिए यह चुनाव काफी अहम हो गया है. इस बार बीजेपी, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस तीनों ही पार्टियां पूरी ताकत से चुनावी मैदान में कूदने के तैयार हैं.
एमसीडी के अलावा दिल्ली में दो और स्थानीय निकाय:राजधानी की देखभाल का जिम्मा तीन अलग-अलग निकायों पर है. एमसीडी के दायरे में दिल्ली के कुल क्षेत्रफल का 96 फीसदी हिस्सा आता है. जिन स्थानों पर प्रमुख सरकारी इमारतें, दफ्तर, आवासीय परिसर, दूतावास व उच्चायोग हैं, वह नई दिल्ली नगरपालिका परिषद के तहत आता है.