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Chaitra Navratri 2023: नवरात्रि के पहले दिन ऐसे करें मां शैलपुत्री की पूजा, जानें घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

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Published : Mar 21, 2023, 1:34 PM IST

नवरात्रि में भक्त, मां भगवती के कृपा पात्र बनने के लिए विशेष पूजन-अर्चन और व्रत करते हैं. इस बार चैत्र नवरात्रि में मां भगवती का आगमन नाव पर हो रहा है. नाव पर मां भगवती का आगमन काफी शुभ माना जाता है. आइए जानते हैं घट स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि.

Chaitra Navratri 2023
Chaitra Navratri 2023

आचार्य शिवकुमार शर्मा

नई दिल्ली:वासांतिक नवरात्रि और नवसंवत्सर 2080, 22 मार्च बुधवार से शुरू हो रहा है. जानकारों की मानें तो 9 दिनों तक चलने वाला मां भगवती का यह आयोजन, इस बार विशेष शुभता लेकर आ रहा है. इस बार मां दुर्गा नाव पर बैठकर आएंगी, जिससे इस वर्ष पर्याप्त वर्षा के साथ लोगों के धनधान्य से परिपूर्ण होने के योग बन रहे हैं. शुभ योग में आने वाली यह नवरात्रि साधकों के लिए अत्यंत शुभ है. इस दिन लोग मां भगवती का आह्वान और कलश स्थापना कर पूजा, व्रत आदि करते हैं. वहीं घट स्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 24 मिनट से 7 बजकर 29 मिनट तक है.

स्थिरता का होगा वास: चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री का पूजन-अर्चन करने का विधान है. मां शैलपुत्री हिमराज की पुत्री हैं, जिनकी पूजा करने से घर में स्थिरता आती है. नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की कथा सुनने और विधि विधान से पूजा करने से मां शैलपुत्री का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है.

पूजन विधि: नवरात्रि के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने. इसके बाद चौकी पर मां दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित कर व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां शैलपुत्री को सफेद कपड़े अर्पित करें और कथा का पाठ और आरती कर पूजा संपन्न करें.

मां शैलपुत्री को पसंद है सफेद रंग:मां शैलपुत्री को सफेद रंग बेहद पसंद है. ऐसे में उनकी पूजा के दौरान सफेद फूलों का जरूर इस्तेमाल करें. पूजा में मां शैलपुत्री को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करना बहुत शुभ माना जाता है. इसके साथ ही मां शैलपुत्री को दूध, मेवे आदि से बनी सफेद रंग की मिठाईयों का भोग भी लगाया जा सकता है.

मां शैलपुत्री का मंत्र:माता शैलपुत्री के पूजना के समय इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं-

-ऊँ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
-वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारुढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
-या देवी सर्वभू‍तेषु शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥

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