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ऑनलाइन जॉब और पेमेंट समेत हर कदम पर साइबर अपराधियों का जाल, बचने के लिए बरतें ये सावधानी

ऑनलाइन जॉब और पेमेंट समेत हर कदम पर साइबर अपराधियों ने अपना जाल बिछा दिया है. आरोपियों ने पार्ट टाइम जॉब के बहाने डॉ. अजय यादव से उनकी पूरी जिंदगी की कमाई छीन ली है. ऐसे में हम आपको बताते हैं कि साइबर ठगों से बचने के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए...

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Published : Apr 20, 2023, 2:54 PM IST

Updated : Apr 20, 2023, 4:20 PM IST

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नई दिल्ली: समयपुर बादली निवासी डॉ अजय यादव कुछ समय से पार्ट टाइम जॉब की तलाश कर रहे थे. एक दिन उन्हें टेलीग्राम पर रितिका नाम की लड़की का मैसेज मिला. उसने खुद को मूवी स्टार्ट डॉटनेट की एक्सक्यूटिव बताते हुए अजय को बताया कि वह उसकी वेबसाइट पर रोजाना दो फिल्मों का रिव्यू करके घर बैठे एक, दो हजार रुपए कमा सकते हैं. उसने डॉ अजय से उनकी एक आईडी बनवाई. फिल्म का रिव्यू करके अजय ने पहले दिन 3000 रुपये कमाए, जो उनके अकाउंट में जमा कर दिए गए.

अजय ने गवां दी जिंदगी भर की कमाई:अगले दिन डॉ अजय को एक एडवांस टास्क दिया गया. जिसे पूरा ना कर पाने पर उनकी कमाई नेगेटिव में चली गई. इस तरह उन्हें 4000 रुपए देने पड़े, लेकिन अजय को इस गेम की ऐसी आदत लगी कि कुछ ही दिन के अंदर अजय ने वेबसाइट में अपने 40 लाख रुपए जमा कर दिए. ठगी का अहसास होने पर उन्होंने जब अपने पैसे मांगने शुरू किए, तो उनका मोबाइल ब्लॉक कर दिया गया. एक गलती से अजय ने अपनी जिंदगी की पूरी कमाई गवां दी.

वर्क फ्रॉम होम के नाम पर ढाई लाख की ठगी:बुराड़ी निवासी रुचिका ने ओमिक्स सर्विसेज एजेंसी में वर्क फ्रॉम होम के लिए अप्लाई किया था. उन्हें बताया गया था कि घर से ही सप्ताह में 5 दिन काम करना है. उन्हें 480 ऑनलाइन फॉर्म दिए गए थे, जिन्हें 90% एक्यूरेसी के साथ पूरा करना था. रुचिका ने यह फॉर्म ऑनलाइन भरकर भेज दिया, लेकिन कुछ दिन बाद रुचिका को एक लीगल नोटिस आया.

बताया गया था कि कंपनी की रिक्वायरमेंट के अनुसार उन्होंने काम नहीं किया है, इसलिए कॉन्ट्रैक्ट रद्द करने की एवज एजेंसी ने रुचिका से 10 हजार रुपए जमा करवाए. इसके बाद उन्हें धमकी दी गई कि वह 19000 रुपये नहीं देंगी, तो उनके घर पुलिस भेज दी जाएगी. रुचिका ने ये रुपए भी जमा कर दिए. इसके बाद आरोपियों की मांग लगातार बढ़ती गई और कुछ ही दिनों के अंदर उन्होंने रुचिका से ढाई लाख रुपए वसूल लिए. आरोपियों को देने के लिए रुचिका के पास पैसे नहीं बचे तो वह पुलिस के पास गईं, जहां पता चला कि उनके साथ साइबर ठगी हुई है.

साइबर ठगों ने लोगों का जीना किया दुश्वार:ये किसी एक अजय या रुचिका की कहानी नहीं है. ये कई बार हमारी समस्या को सुलझाने के नाम पर एनीडेस्क, टीमव्यूअर या इस तरह के अन्य ऐप या सॉफ्टवेयर को डाउनलोड करने को कहते हैं और हमारे अकाउंट को खाली कर देते हैं. अब अनिल नौटियाल को ही ले लें. उन्हें अपनी बेटी का पासबुक अपडेट कराना था. उन्होंने इंटरनेट से एसबीआई का कस्टमर केयर नंबर निकाला. उस पर बात करने पर पता चला कि उनका यह काम ऑनलाइन हो जाएगा. आरोपी ने उनके मोबाइल पर एसबीआई एनीडेस्क डाउनलोड करवाया और उस पर अपना नंबर अपडेट करने के लिए बोला. इसके बाद उनके अकाउंट से साढ़े नौ लाख रुपए निकाल लिए गए. थोड़ी ही देर बाद 50,000 रुपए और निकाल लिए गए.

बैंकों द्वारा जारी किया जाता है अलर्ट:बैंक फ्रॉड से संबंधित मामलों पर लगाम लगाने के लिए बैंकों द्वारा ग्राहकों के लिए समय समय पर अलर्ट भी जारी किया जाता है. बैंकों के प्रयास और सूचनाओं के विस्तार से जहां एक तरफ लोग ठगी की घटनाओं को लेकर जागरूक हो रहे हैं तो वहीं साइबर ठग भी लोगों को लूटने के लिए नए नए तरीके इजाद कर रहे हैं.

साइबर फ्रॉड से बचने के लिए ये बरतें सावधानी:साइबर लॉ एक्सपर्ट और सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट पवन दुग्गल बताते हैं कि अगर आप साइबर फ्रॉड से बचना चाहते हैं तो आपको मालूम होना चाहिए कि बहुत से ऐप या सॉफ्टवेयर में रिमोट एक्सेस होता है और अगर आपने मोबाइल में इनको डाउनलोड करने के बाद इसका कोड किसी के साथ शेयर किया, तो आपके मोबाइल और कंप्यूटर का एक्सेस कोड जानने वाले व्यक्ति के पास चला जाएगा. इसके बाद वह व्यक्ति आपके मोबाइल और कंप्यूटर को अपने अनुसार कंट्रोल करने में सक्षम हो जाएगा. इससे न केवल आपके साथ बैंकिंग फ्रॉड होने का खतरा बना रहेगा, बल्कि आपकी बेहद निजी जानकारियों के लीक होने का भी डर रहेगा.

सोशल मीडिया पर दोस्ती करने से पहले करें जांच:आए दिन बैंक धोखाधड़ी के नए नए मामले सामने आते रहते हैं. साइबर ठग इतनी चालाकी से इन घटनाओं को अंजाम देते हैं कि हमें अपने अकाउंट के साफ होने की भनक तक नहीं लग पाती है. एडवोकेट पवन दुग्गल ने बताया कि सोशल मीडिया पर अनजान लोगों से दोस्ती से पहले अपने स्तर पर भी जांच पड़ताल करें. किसी भी अनजान व्यक्ति से अपनी निजी जानकारी या घर का पता साझा न करें. अपने लैपटॉप और मोबाइल में अच्छे एंटीवायरस जरूर रखें.

उन्होंने बताया कि साइबर फ्रॉड से बचने के लिए भारत में अभी भी सख्त कानून नहीं है. पुलिस को अभी भी आईपीसी की धारा 420 और आईटी एक्ट के तहत साइबर अपराधियों पर कार्रवाई करनी पड़ती है. जिसका उन्हें काफी फायदा मिल जाता है. अगर साइबर फ्रॉड के लिए सख्त कानून बनाया दिया जाए, तो लोग ऐसे अपराध करने से बचेंगे.

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Last Updated : Apr 20, 2023, 4:20 PM IST

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