नई दिल्ली : केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 370 खत्म किये जाने के साथ ही उसे केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया है. केंद्र शासित प्रदेशों में यूटी (यूनियन टेरोटरी) कैडर के आईपीएस अधिकारियों को तैनात किया जाता है.
ऐसे में दिल्ली पुलिस के अधिकारियों में ये चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या अब जम्मू कश्मीर की सुरक्षा में यहां से आईपीएस अधिकारियों की तैनाती होगी.
कश्मीर में तैनाती दिल्ली पुलिस में बनी चर्चा का विषय बता दें कि आईपीएस में सबसे महत्वपूर्ण यूटी कैडर माना जाता है, क्योंकि वह सीधे केन्द्र सरकार के अधीन आता है. वहीं अन्य राज्य कैडर पाने वाले आईपीएस की तैनाती जिस राज्य में होती है, वहां की राज्य सरकार के वो अधीन आते हैं. अभी तक यूटी कैडर के पुलिस अधिकारियों को दिल्ली के अलावा, चंडीगढ़, गोआ, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, अंडमान-निकोबार और पुडुचेरी में तैनात किया जाता है. यहां के सर्वोच्च पुलिस अधिकारी के पदों पर यूटी कैडर के आईपीएस रहते हैं.
जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश बनने पर चर्चा
केंद्र सरकार ने अब जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बना दिया है. इसके बाद से यूटी कैडर के आईपीएस अधिकारियों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या उनकी तैनाती जम्मू कश्मीर में की जाएगी.
केंद्र सरकार किसी भी राज्य कैडर के मुकाबले यूटी कैडर के अधिकारियों पर अधिक भरोसा करती है. इसलिए भी यूटी कैडर के अधिकारियों को जम्मू कश्मीर में तैनात किए जाने की संभावना अधिक बताई जा रही है.
पदोन्नति पर भी पड़ सकता है असर
वरिष्ठ अधिकारियों की मानें तो जम्मू कश्मीर में यूटी कैडर के आईपीएस की तैनाती करने के लिए पहले वहां के कैडर को खत्म करना होगा. अगर ऐसा किया जाता है तो जम्मू कश्मीर में मौजूद आईपीएस अधिकारियों को यूटी कैडर में शामिल करना पड़ेगा. उनका यूटी कैडर में विलय होने पर प्रत्येक बैच में मौजूद पुलिस अधिकारियों की संख्या बढ़ जाएगी. इसका सीधा असर फिलहाल यूटी कैडर में मौजूद आईपीएस अधिकारियों पर पड़ेगा और उन्हें पदोन्नति मिलने में पहले के मुकाबले अधिक समय लग सकता है.
केंद्र सरकार लेगी अंतिम निर्णय
पुलिस सूत्रों की मानें तो जम्मू कश्मीर में यूपी कैडर को तैनात करने को लेकर अंतिम निर्णय केंद्र सरकार को लेना है. केंद्र सरकार ही यह तय करेगी कि वहां पर यूटी कैडर को लगाया जाए या फिर जम्मू-कश्मीर कैडर के आईपीएस अधिकारी ही वहां की कानून व्यवस्था संभालेंगे. फैसला जो भी हो लेकिन अधिकारियों के बीच यह बड़ी चर्चा का विषय बना हुआ है और बड़ी बेसब्री से इसको लेकर होने वाले फैसले का इंतजार किया जा रहा है.