नई दिल्ली: दिल्ली के केशवपुरम निवासी भावना ने कुछ दिन पहले दिल्ली के एक डॉक्टर से अपॉइंटमेंट लेने के लिए उसका नंबर गूगल पर सर्च किया था. उन्होंने उस नंबर पर कॉल किया तो कॉल रिसीव करने वाले ने कहा कि उनके पास दूसरे नंबर से खुद फोन आ जाएगा. कुछ देर बाद उनके मोबाइल पर एक अन्य नंबर से कॉल आया. कॉलर ने कहा कि वह डॉक्टर के क्लीनिक से बोल रहा है. उनके व्हाट्सएप पर एक लिंक भेजा गया है. उस लिंक को ओपन करते ही उन्हें डॉक्टर से मिलने का समय मिल जाएगा. भावना ने जैसे ही लिंक ओपन किया तो उनके बैंक खाते से तीन बार में 15 लाख रुपए निकल गए. उनके मोबाइल पर 15 लाख रुपए ट्रांसफर होने का मैसेज पहुंचा तो तो उनके होश उड़ गए. उनकी शिकायत पर साइबर सेल ने एफआइआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है.
वर्ष 2022-2023 में आ चुके हैं 95000 मामलेःऑनलाइन पेमेंट के जरिए लोगों को कई तरह की सुविधाएं मिल रही हैं तो इसमें कई तरह के जोखिम भी हैं. ऑनलाइन पेमेंट के जरिए सिर्फ भावना ही नहीं बल्कि रोजाना सैकड़ों लोग ठगे जा रहे हैं. वित्त मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2022-2023 में यूपीआई के जरिए ठगी के 95000 मामले सामने आ चुके हैं. जबकि वर्ष 2021-2022 में ऐसे 84000 मामले सामने आए थे.
ई-चालान का लिंक भेजकर भी लगा रहे चूनाःसाइबर ठग ट्रैफिक पुलिस द्वारा भेजे जाने वाले ई-चालान के जरिए भी लोगों को चूना लगा रहे हैं. ठग लोगों के मोबाइल पर ट्रैफिक पुलिस के ई-चालान मैसेज का बिलकुल वैसा ही मैसेज भेज रहे हैं. इसमें लिखा होता है कि आपने ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन किया है, जिसके लिए आपका चालान किया गया है. इसलिए मैसेज के साथ भेजे गए लिंक पर क्लिक करके आप अपने चालान का भुगतान कर सकते हैं. इस पर क्लिक करते ही व्यक्ति फर्जी साइट पर पहुंच जाता है उसके अकाउंट में जितने भी रुपए होते हैं वह निकल जाते हैं. मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर इसे लेकर लोगों को सावधान करते हुए अलर्ट जारी किया है.
एप से चोरी हो रहा डेटा:जाने-माने साइबर लॉ एक्सपर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता पवन दुग्गल ने कहा कि आजकल ज्यादातर लोग अपने मोबाइल में दर्जनों ऐप डाउनलोड करके रखते हैं. इन एप पर उनका डाटा चोरी हो जाता है. दरअसल ऐप को डाउनलोड करते समय हम बिना उसकी टर्म्स एंड कंडीशन और प्राइवेसी पॉलिसी को पढ़े हुए उनकी हर चीज को परमिशन और एक्सप्टेंस देते जाते हैं जिससे हम अपने पैर पर कुल्हाड़ी मार लेते हैं. एप हमसे सारी परमिशन ले लेता है. यानी वह अब हमारे डेटा को जिस तरह से चाहे उसे तरह से इस्तेमाल कर सकता है.