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Helium Leakege Ditection Technology से पानी की पाइपलाइन में लीकेज की मिलेगी जानकारी, होगा ये फायदा

राजधानी में लोगों को जल्द दूषित पानी की समस्या से छुटकारा मिलेगा. दरअसल, मंगलवार को जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने तकनीक का परीक्षण कर पता लगाया कि उपकरण कितनी सफल तरीके से काम कर रहा है.

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Published : Jun 6, 2023, 8:23 PM IST

Helium Leakege Ditection Technology
Helium Leakege Ditection Technology

नई दिल्ली:दिल्ली में अब अंडरग्राउंड पाइपलाइन में पानी की लीकेज का पता लगाने के लिए जगह-जगह सड़क तोड़कर जमीन खोदने की जरूरत नहीं पड़ेगी. हीलियम लीकेज डिटेक्शन तकनीक की मदद से पानी की पाइपलाइन में लीकेज की जानकारी आसानी से मिल जाएगी. साथ ही दिल्लीवालों को दूषित पानी की समस्या से भी छुटकारा मिलेगा.

दरअसल, मंगलवार को दक्षिणी दिल्ली के शाहपुर जाट में पाइपलाइन में लीकेज व दूषित पानी का पता लगाने वाले आधुनिक उपकरण का इस्तेमाल हुआ. इस दौरान जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने हीलियम लीकेज डिटेक्शन तकनीक का परीक्षण कर पता लगाया कि यह उपकरण कितनी सफल तरीके से काम कर रहा है. उन्होंने बताया कि शाहपुर जाट में कुछ दिनों से दूषित पानी की सप्लाई की शिकायतें मिल रही थी. ऐसे में यहां दूषित पानी से संबंधित समस्या का समाधान करने के लिए हीलियम लीकेज डिटेक्शन तकनीक अपनाई जा रही है.

कई बार पीने का पानी और सीवर का पानी मिक्स हो जाता है. यह समस्या पेयजल पाइपलाइन में लीकेज के चलते उत्पन्न होती है. लीकेज वाली जगह से पाइपलाइन में सीवेज चला जाता है. अब तक केवल सड़क पर दिखने वाली लीकेज की ही जानकारी आसानी से मिल पाती थी. वहीं जमीन के अंदर लीकेज के चलते दूषित पानी की दिक्कत होने पर कई जगह गड्ढे खोदकर पाइपलाइन से लीकेज ढूंढते थे. इससे सड़क तोड़ने के साथ ही पैसे व समय की भी बर्बादी होती थी. लेकिन अब हिलियम लीकेज डिटेक्शन तकनीक के जरिए आसानी से पाइपलाइन की लीकेज की जानकारी मिल जाएगी.

इस पर जल मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि दिल्ली में दूषित जलापूर्ति वाले क्षेत्रों की पहचान कर प्राथमिकता के आधार पर समस्या की जड़ तक पहुंचा जा रहा है, ताकि समस्या का स्थायी हल निकल सके. दिल्ली जल बोर्ड दूषित पानी से संबंधित शिकायतों की लगातार निगरानी कर रहा है और क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार उनका समाधान करने में जुटा है. राजधानी में पानी की किल्लत को दूर करने के लिए भी केजरीवाल सरकार अलग-अलग ऐसे इलाकों में ट्यूबवेल लगा रही है, जहां ग्राउंडवॉटर लेवल ज्यादा है. इसे राजधानी में आबादी के हिसाब से पानी की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी और गर्मियों में पानी की उपलब्धता में कोई कमी नहीं होगी.

ऐसे काम करती है हीलियम लीकेज डिटेक्शन तकनीक:पाइपलाइन में हीलियम गैस इंजेक्ट कर जगह-जगह ड्रील कर चेक किया जाता है कि हीलियम गैस कहां पर ग्राउंड सरफेस तक आ रही . जिस जगह पर पाइपलाइन में लीकेज होती है, वहां गैस सरफेस पर आती है. यह आधुनिक तकनीक के जरिए डिटेक्ट किया जाता है. हीलियम किसी भी अन्य गैस की तुलना में जल में सबसे कम घुलनशील है. ऐसे में मेडिकली यह गैस कोई नुकसान नहीं करती है. पानी की पाइपलाइन में लीकेज का पता लगाने के लिए एक दिन पहले पाइपलाइन में हीलियम डाली जाती है. फिर जगह-जगह ड्रील करके आधुनिक तकनीक के जरिए चेक किया जाता है. लीकेज वाली जगह पर हिलीयम गैस सरफेस पर आती है. ऐसे में केवल लीकेज वाली जगह पर ही खुदाई करनी होती है. लाइन को पूरा खोदने की जरूरत नहीं पड़ती. ड्रील 400 एमएम गहराई तक जाता है.

आम जनता को होगा यह फायदा-

  • पाइपलाइन के लीकेज सही करने से दूषित पानी की समस्या से भी राहत मिलेगी.
  • लीकेज पर रोकथाम से व्यर्थ बहने वाला पानी बचेगा.
  • लीकेज ढूंढने के लिए जगह जगह सड़क खोदकर कर गड्ढे खोदने की जरूरत नहीं है.
  • लीकेज के कारण पेयजल प्रेशर कम रहता है. लीकेज सुधारने के बाद पानी सप्लाई का प्रेशर बढ़ेगा व पाइपलाइन के टेल एंड तक पानी पहुंच सकेगा.

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