नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट टू-जी स्पेक्ट्रम केस में पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और दूसरे आरोपियों को ट्रायल कोर्ट से बरी करने के फैसले के खिलाफ सीबीआई और ईडी की याचिका पर आज भी सुनवाई जारी रखेगा. पिछली सुनवाई के दौरान सीबीआई ने कहा था कि उसने अपील दायर करने की सभी कानूनी शर्तों को पूरा किया है. जबकि आरोपियों ने कहा था कि अपील दायर करने के लिए कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया गया.
पिछले 12 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 378 के तहत सीबीआई के स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर को अपील दायर करने की जो अनुमति मिली वो एक प्रशासनिक कार्य था और उसमें कोर्ट की सीधे कोई भूमिका नहीं है. अनुमति देना अपील दायर करने की पूर्व शर्त है और उसमें कोर्ट कोई हस्तक्षेप नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा था कि इस अपील को दायर करने की सभी कानूनी शर्तें पूरी की गई हैं. उन्होंने कहा था कि इस याचिका का निपटारा करें और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम में संशोधन संबंधी अर्जी पर विचार करें.
अपराध प्रक्रिया की धारा 24(8) का उल्लंघन संविधान की धारा 14 का उल्लंघन है
एक आरोपी की ओर से वरिष्ठ वकील एन हरिहरन ने कहा था कि वे पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति से संबंधित अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 24 के बारे में लॉ कमीशन की रिपोर्ट के बारे में बताना चाहते हैं. इसका संजय जैन ने विरोध करते हुए कहा था कि आप नई चीजों को नहीं रख सकते हैं. कोर्ट ने उनके विरोध को दरकिनार करते हुए हरिहरन को लॉ कमीशन की रिपोर्ट पढ़ने की अनुमति दी. हरिहरन ने कहा था कि अगर पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 24(8) का उल्लंघन कर की गई है तो वह संविधान की धारा 14 का उल्लंघन भी होगा.
ई-मेल से दस्तावेज विश्वसनीय नहीं, हलफनामा दाखिल करें
पिछले 9 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान एक आरोपी आसिफ बलवा की ओर से वकील विजय अग्रवाल ने कहा था कि सीबीआई ने ई-मेल के जरिये दस्तावेज भेजे गए हैं. सीबीआई हाईकोर्ट के रुल्स के मुताबिक दस्तावेज उपलब्ध कराए. उन्होंने हाईकोर्ट के रुल्स का उदाहरण देते हुए कहा था कि दीवानी और आपराधिक मामलों में दस्तावेजों को दाखिल करने में कोई अंतर नहीं है. सभी दस्तावेज फाईलिंग काउंटर पर दाखिल करना चाहिए. ई-मेल की विश्वसनीयता संदेह में है. मैं किसी भी उस दस्तावेज को नहीं देखूंगा जो हलफनामे में नहीं हो.
केंद्र को किसी से सलाह करने की जरुरत नहीं
सीबीआई की ओर से एएसजी संजय जैन ने कहा था कि एक दलील दी गई कि स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति हाईकोर्ट की सलाह से होनी चाहिए. स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर की नियुक्ति के लिए केंद्र को किसी से सलाह करने की जरुरत नहीं है. अगर विधायिका ने ऐसा चाहा होता तो वो इसका प्रावधान करती. हमें अपराध प्रक्रिया संहिता की धारा 24(8) की व्याख्या करने की जरुरत नहीं है. जैन ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट ने धारा 142 के तहत टू-जी केस में स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्यूटर की नियुक्ति की.
सरकार कई स्पेशल पब्लिक प्रोसिक्युटर नियुक्त कर सकती है