नई दिल्ली:14 दिसंबर 2020 को कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को निर्देश दिया था कि वे मीडिया संगठनों की ओर से दायर जवाब पर जवाबी हलफनामा दाखिल करें. सुनवाई के दौरान कुछ मीडिया संगठनों ने याचिका का जवाब देर से दायर करने के लिए कोर्ट से माफी मांगी, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया. मीडिया संगठनों की ओर से वकील संदीप सेठी ने कहा था कि प्रोडक्शन हाउस को इस मामले में याचिका दायर करने का क्षेत्राधिकार नहीं है. तब प्रोडक्शन हाउस की ओर से वकील राजीव नय्यर ने कहा था कि कोर्ट मीडिया संगठनों को अपमानजनक रिपोर्टिंग नहीं करने और प्रोग्राम कोड का पालन करने को कहकर इस याचिका का निस्तारण कर सकती है.
9 नवंबर 2020 को कोर्ट ने संबंधित मीडिया संगठनों को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था. सुनवाई के दौरान राजीव नय्यर और अखिल सिब्बल ने कहा था कि फिल्म इंडस्ट्री को न्यूज चैनलों ने kingpin of Bollywood, Pakistani funded, nepotism इत्यादि नामों से पुकारा. राजीव नय्यर ने कहा था की न्यूज चैनलों ने अपने रिपोर्टिंग में कहा कि दीपिका पादुकोण ने माल देने के लिए कहा था. उन्होंने कहा था कि न्यूज़ चैनलों ने कहा था कि क्या शाहरुख खान के खिलाफ राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए कोई कार्रवाई की जाएगी.
अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक की मांग
सुनवाई के दौरान अखिल सिब्बल ने कहा था कि न्यूज चैनलों को अपमानजनक रिपोर्टिंग करने पर रोक लगाई जानी चाहिए. मीडिया स्व-नियमन का पालन नहीं कर रही है. उन्होंने केस के लंबित होने के दौरान किसी मामले की मीडिया रिपोर्टिंग पर कोर्ट के फैसलों का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा था कि न्यूज़ ब्रॉडकास्ट स्टैंडर्ड अथॉरिटी ने भी कहा था कि सच्चाई जाने का मतलब यह नहीं है की मीडिया समूह किसी अभियुक्त के अधिकारों का उल्लंघन करें और उसकी जिंदगी तबाह कर दे. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या आपने मुआवजे की भी मांग की है. तब नायक ने कहा था कि नहीं। तब कोर्ट ने कहा था कि आप ट्रायल के दौरान मुआवजे की मांग कर सकते हैं.