नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने वकीलों के लोन की ईएमआई के मोरेटोरियम की अवधि एक साल के लिए और बढ़ाने और उसका ब्याज माफ करने की मांग करने वाली याचिका पर आज सुनवाई टाल दी है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने इस मामले पर 8 सितंबर को दूसरी बेंच के समक्ष सुनवाई के लिए लिस्ट करने का आदेश दिया.
वकीलों के लोन की EMI पर मोरेटोरियम अवधि बढ़ाने की मांग पर सुनवाई टली वकीलों को सहायता देने की मांग याचिका वकील सुनील कुमार तिवारी ने दायर की है. याचिकाकर्ता की ओर से वकील मुकेश कुमार सिंह ने कहा कि दिल्ली बार काउंसिल ने अपने यहां पंजीकृत वकीलों को एक बार पांच हजार रुपये की सहायता दी थी. लेकिन वो जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं था.
याचिका में कहा गया है कि कोरोना की वजह से केंद्र सरकार ने पिछले मार्च महीने से लॉकडाउन घोषित किया था. उसके बाद से कोर्ट के लगातार बंद होने की वजह से वकीलों को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है. ऐसी स्थिति में वकीलों को सहायता देने की मांग की गई है.
बच्चों की फीस समय से नहीं दे पा रहे हैं
याचिका में कहा गया है कि अधिकांश वकीलों मध्यम वर्ग या निम्न मध्यम वर्ग से आते हैं। उन्हें अपने परिवार का भरण-पोषण करने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. कई वकीलों को अपने लोन, क्रेडिट कार्ड और अपने मकान के लिए किराये के रुप में बड़ी रकम खर्च करनी पड़ती है. वकील अपने बच्चों की स्कूल की फीस तक समय से नहीं दे पा रहे हैं.
मजदूरों को भी मदद कर रही है सरकार
याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार उद्योगों को काफी कम दर पर लोन दे रही है. उनके लोन पर मोरेटोरियम की अवधि 12 महीने के लिए बढ़ा दी गई है. सरकार मजदूरों को भी भोजन, आश्रय और दूसरी रियायतें देकर मदद कर रही है, लेकिन वकीलों और निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को कोई मदद नहीं मिल रही है. याचिकाकर्ता ने खुद होम लोन, कार लोन, पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड ले रखा है. लेकिन आज वह इन सबकी ईएमआई देने की स्थिति में नहीं है.