नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा के मामले में यूएपीए के 15 आरोपियों के खिलाफ दायर चार्जशीट की प्रिंटेट कॉपी आरोपियों को उपलब्ध कराने के ट्रायल कोर्ट के आदेश पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. जस्टिस सुरेश कैत की बेंच ने इस मामले के सभी आरोपियों को नोटिस जारी कर 15 दिसंबर तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया.
दिल्ली हिंसा के आरोपियों को नहीं मिलेगी चार्जशीट 17 हजार पन्नों की चार्जशीट
कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट इस मामले से जुड़े दूसरी अर्जियों पर फैसला कर सकता है. दिल्ली पुलिस की ओर से वकील अमित प्रसाद ने याचिका में कड़कड़डूमा कोर्ट के 21 सितंबर और 21 अक्टूबर के उन आदेशों को चुनौती दी है जिसमें आरोपियों को चार्जशीट की प्रिंटेट प्रति उपलब्ध कराने का आदेश दिया गया है. याचिका में कहा गया है कि ट्रायल कोर्ट ने ऐसा कर कानूनी प्रावधानों का ख्याल नहीं किया. दिल्ली पुलिस ने कहा कि दिल्ली पुलिस की चार्जशीट करीब 17 हजार पेजों की है. चार्जशीट में 23 वाल्यूम हैं जिसमें ट्रायल कोर्ट में दाखिल पुलिस की रिपोर्ट भी शामिल है.
प्रिंटेड प्रति उपलब्ध कराने का दिया था आदेश
दिल्ली पुलिस ने याचिका में कहा है कि ट्रायल कोर्ट ने पिछले 21 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि आरोपियों को चार्जशीट की प्रिंटेड प्रति उपलब्ध कराएं. ऐसा करना इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट की धारा 4 की उल्लंघन है। याचिका में कहा गया है कि इस बात का प्रावधान है कि अगर दस्तावेज काफी मात्रा में हों तो कोर्ट आरोपियों या उनके वकीलों की ओर से उन दस्तावेजों के परीक्षण का आदेश दे सकती है. दिल्ली पुलिस ने चार्जशीट को इलेक्ट्रॉनिक प्रति पेन ड्राईव में दे दिया है.
16 सितंबर को चार्जशीट दाखिल
पिछले 16 सितंबर को स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा में साजिश रचने के मामले में यूएपीए और आर्म्स एक्ट के तहत कड़कड़डूमा कोर्ट में चार्जशीट दाखिल किया था. चार्जशीट में 15 लोगों को आरोपी बनाया गया है. चार्जशीट में डिजिटल साक्ष्यों, व्हाट्सऐप चैट और कॉल डिटेल रिकॉर्ड्स के आधार पर केंद्र सरकार से अभियोजन चलाने की अनुमति ली गई है. 17 सितंबर को कडकड़डूमा कोर्ट ने चार्जशीट पर संज्ञान लिया था.