नई दिल्ली: सरकारी स्कूलों में अब तक सेवा दे रहे अतिथि अध्यापक 28 फरवरी को अनुबंध खत्म होने के बाद बेरोजगार हो गए हैं और अपनी आजीविका की चिंता में लगातार 5 दिन से शिक्षा मंत्री के आवास पर प्रदर्शन कर रहे हैं. इन टीचर्स का कहना है कि ये कॉन्ट्रेक्ट बढ़ाने के लिए प्रदर्शन नहीं कर रहे हैं बल्कि इन्हें स्थाई नौकरी चाहिए.
शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के आवास पर बीते 5 दिन से प्रदर्शन कर रहे गेस्ट टीचर्स ने हल्ला बोल दिया है. शांति प्रदर्शन के बाद जब सरकार हरकत में नहीं आई तो शिक्षकों का गुस्सा फूट पड़ा. किसी ने शायरी में अपना दर्द बयान किया तो किसी ने मुंडन तक करवा लिया. वहीं एक दिव्यांग अतिथि शिक्षक ने सरकार से सवाल किया कि घर में चूल्हा कैसे जलाया जाए. एक साथ 25,000 शिक्षकों को बेरोजगार करके सरकार कब तक टिक पाएगी.
नियमित शिक्षकों के अभाव में दिल्ली सरकार ने सभी सरकारी स्कूल में अतिथि शिक्षक नियुक्त किए थे जिसके बाद से ना सिर्फ शिक्षा के स्तर में सुधार आया बल्कि कई लोगों को रोजगार भी मिला. वहीं 28 फरवरी को अनुबंध खत्म होने के बाद से हजारों की संख्या में शिक्षक बेरोजगार होकर सड़क पर आ गए. इनका कहना है कि अब उन्हें दो चार महीने का एक्सटेंशन नहीं बल्कि 58 साल की पॉलिसी चाहिए. अतिथि शिक्षकों ने रोष व्यक्त किया और कहा कि आम आदमी पार्टी सरकार ने अतिथि शिक्षकों से वादा किया था कि उन्हें जल्दी ही नियमित कर दिया जाएगा और रोजगार की सुरक्षा दी जाएगी लेकिन सरकार अपने वादों को पूरा नहीं कर पाई. ऐसे में प्रदर्शन करने के अलावा कोई और रास्ता नहीं बचता.
शिक्षकों को भ्रमित कर रही सरकार
वहीं प्रदर्शन कर रहे एक अतिथि शिक्षक ने बताया कि दिल्ली में अतिथि शिक्षकों के लिए केवल भ्रम की स्थिति पैदा की जा रही है जिससे उन्हें नियमित ना किया जा सके. उन्होंने कहा कि परीक्षा में बैठे अतिथि शिक्षकों में से लगभग 23% अतिथि शिक्षकों ने परीक्षा पास की है. वहीं बाहरी परीक्षार्थियों में से केवल 1 फीसदी ने ये परीक्षा पास की. ऐसे में अतिथि शिक्षक की काबिलियत पर सवाल नहीं उठाया जा सकता. वहीं एक अन्य शिक्षक ने कहा कि बहुत से शिक्षक ऐसे हैं जिनकी उम्र भी निकल चुकी है जो किसी भी अन्य जगह नौकरी के लिए आवेदन नहीं कर सकते. ऐसे में यदि उनकी नौकरी चली गई तो उनका घर कैसे चलेगा.