किसान गर्जना रैली के लिए कपकंपाती ठंड में देशभर से आए किसान. नई दिल्ली: दिल्ली के रामलीला मैदान में सोमवार को किसान गर्जना रैली में देशभर से आए अन्नदाताओं ने ये जाहिर कर दिया कि धरती से अन्न उगाने वाले किसान जब अपने हक की खातिर हुंकार भरते हैं तो सत्ता के सिंहासन भी हिल जाते हैं. भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में कपकंपाती ठंड में देश भर से आए किसानों ने अपने अधिकारों की मांग करते हुए सरकार को सीधे चुनौती दे डाली है.
संघ के वरिष्ठ पदाधिकारियों ने ऐलान किया है कि यदि किसानों की मांगों पर प्रदेश और केंद्र सरकार ने समय रहते निराकरण नहीं किया तो सरकार पर संकट के बादल गहराना निश्चित है. आयोजन के अंत में राष्ट्रीय मंत्री बाबूभाई पटेल ने प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन को पढ़कर सुनाया.
जहर नहीं जैविक चाहिएःभारतीय किसान संघ के अखिल भारतीय राष्ट्रीय महामंत्री मोहनी मोहन ने केंद्र सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के किसान अधिकारों को लेकर किए गए सभी भाषण कोरे साबित हुए हैं. किसानों की आय में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकी. सरकार का वाणिज्य विभाग किसानों से दुश्मनी पर उतारू है. किसानों को उनकी लागत का लाभकारी मूल्य उनका अधिकार है, भीख नहीं.
उन्होंने कहा कि कोविड के संकट के दौरान भारत के किसानों ने पूरे देश को अनाज मुहैया कराया. किसानों ने जान जोखिम में डालकर खेतों में अन्न पैदा किया और देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर में खाद्यान्न की पूर्ति करके भारत का मान बढाया. मोहनी मोहन ने जीएम सरसों को लागू करने के फैसले को घातक बताया. उन्होंने कहा कि एक ओर देश की सरकार जैव विविधता को बढ़ावा देने की बात करती है, वहीं दूसरी ओर नपुंसकता और कैंसर को बढ़ाने वाले घातक निर्णयों से जनता की जान को संकट में डाल रही है.
रामलीला मैदान में सोमवार को 26 राज्यों के पहुंचे किसान. उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होने दिया जाएगा, जब तक सरकार इस फैसले को वापस नहीं लेती, तब तक किसानों का विरोध हर स्तर पर जारी रहेगा. उन्होने मंच से जहर नहीं जैविक चाहिए का नारा मुखर कराते हुए किसानों से जीएम सरसों का विरोध करने का संकल्प सबल बनाने का आह्वान किया.
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कंपनियों को सब्सिडी आखिर क्यों:किसान नेताओं ने मंच से कहा कि छह लाख करोड़ की सब्सिडी बीज कंपनियों को दी गई, जबकि यह किसानों का हक था. किसान खुद बीज का सृजन कर सकते हैं, लेकिन उन्हें अनदेखा किया जा रहा है. किसानों के साथ बाजार से लेकर मंडी तक लूट का सिलसिला जारी है. आजादी के 75 वर्षों के बाद भी ऐसे आंदोलनों की जरूरत पड़ रही है, यह दुर्भाग्य की बात है.
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जय बलराम से गुंजायमान हुआ रामलीला मैदान:जय बलराम, हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख मांगते, जैसे नारों से सोमवार को रामलीला मैदान गूंज उठा. गले में किसान संघ का गमछा डाले किसान हाथों में झंडा थामे हुए थे. आयोजन स्थल पर किसानों का उत्साह और उमंग देखते ही बनता था. किसान संघ के नेताओं ने मंच से जब किसानों को एकजुट होने का आह्वान किया तो रामलीला मैदान में उपस्थित किसानों ने दोनों हाथ उठाकर एकता का संकल्प लेते हुए अधिकारों के लिए संघ को मजबूती से आगे बढ़ने का नारा बुलंद किया.
रामलीला मैदान में पिछले एक सप्ताह से व्यापक स्तर पर तैयारियां चल रही थीं. जो किसान पहले से राजधानी पहुंच गए थे, उन्होंने मैदान में पंडाल के नीचे पूरी रात गुजारी. इतना ही नहीं सोमवार की अलसुबह किसानों ने पूरी तैयारी के साथ देशभर से आ रहे अपने साथी किसानों का स्वागत करते हुए उन्हें गले लगाकर इस आयोजन की सफलता और एकता के संकल्प को सबल बनाने की मंगल कामनाएं दीं.
इस अवसर पर देश के सभी राज्यों से आए भारतीय किसान संघ के प्रदेश अध्यक्षों एवं पदाधिकारियों ने मंच से किसानों को संबोधित किया. इस दौरान आंध्र प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, पंजाब, अरूणाचल प्रदेश, गुजरात, उड़िसा सहित 26 राज्यों के प्रदेश पदाधिकारियों ने अपने राज्य की क्षेत्रीय भाषा में भाषण देकर किसानों को संबोधित किया. मंच पर अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कुलकर्णी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष भैयाराम मौर्य, रामभरोसे बासोतिया, पेरूमल, कपिला मुठे, राष्टीय मंत्री साईं रेडडी, भानू थापा, वीणा सतीष, प्रमोद चौधरी, अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख राघवेन्द्र सिंह पटेल सहित अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य उपस्थित रहे.
भारतीय किसान संघ की प्रमुख मांग
- लागत के आधार पर लाभकारी मूल्य को लागू करें, तथा इसका मिलना सुनिश्चित करें.
- सभी प्रकार के कृषि आदानों पर जीएसटी समाप्त हो.
- किसान सम्मान निधि में पर्याप्त बढ़ोत्तरी की जाए.
- जीएम फसलों की अनुमति वापस ली जाए.
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