नई दिल्ली: 16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया रेप केस ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था. इसगैंगरेप के बाद खूब प्रदर्शन हुए, आरोपियोंके लिए फांसी की मांग की गई. हालात काफी संवेदनशील हो गए थे और आज 6 साल बाद इस वारदात कोफिल्माया जा रहा है.आगामी 22 मार्च से नेटफ्लिक्स पर एक सीरीज आ रही है, जिसके बारे में हमने निर्भया की मां से बात कर उनकी राय जानी.
इस मामले मेंनिर्भया की मांका कहना है कि लोग उनकी बेटी के नाम पर दुकान चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरी हिम्मत नहीं है कि मैं इस वारदात को फिल्म के रूप में देखूं. उन्होंनेबताया किक्राइम सीरीज बनाने वालोंने उनसे संपर्क कर ये फिल्म बनाने की अनुमति मांगी थी. उनसे दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए कहा गया था, लेकिनउन्होंने इनकार कर दिया था.
22 मार्च से Netflix पर एक सीरीज आ रही है, जिसके बारे में हमने निर्भया की मां से बात कर उनकी राय जानी. बिना अनुमति बनाई फिल्म
निर्भया की मां ने कहा कि इस प्रकार की किसी भी फिल्म के लिए वो अपनी सहमति नहीं देना चाहती थीं. अब उनकी अनुमति के बिना ही इस फिल्म को बनाया गया है. उन्हें इस बारे में फिल्म मेकर्स की तरफ से कोई जानकारी नहीं दी गई है.
'लोगों को देखनी चाहिए यह फिल्म'
निर्भया की मांका कहना है कि वो येफिल्म नहीं देखना चाहेंगी, क्योंकि उन्होंने येदर्द साक्षात जिया है. इसमें जो कुछ भी दिखाया जाएगा उसे वोवास्तव में जी चुकी हैं औरबहुत ही पीड़ादायक रहा है. फिर भी वोचाहती हैं कि जनता इसे जरूरदेखे. उनका मानना है कि इससे अंदाजा लगेगा कि आखिर निर्भया के साथ क्या हुआ था और हमारे समाज में कैसा जघन्य अपराध हुआ. मानवाधिकारों की बात करने वालों को भी येफिल्मदेखनी चाहिए.
दोषियों को नहीं मिली फांसी
निर्भया की मां नेबताया कि उन्हें इस बात का बेहद दुख है कि दोषी आजभी जिंदा हैं. सुप्रीम कोर्ट उन्हें फांसी की सजा सुना चुका है, लेकिन इसके बावजूद कानून का इस्तेमाल कर येदोषी जीवित हैं. इस घटना के बाद सरकार ने कानून में बदलाव तो किया, लेकिन उसका कोई फायदा तब तक नहीं होगा जब तक दोषियों को फांसी के फंदे पर नहीं लटकाया जाता.
आज 6 साल बाद भी समाज में कोई खास सुधार नहीं हुआ है. आज भी लोग इस तरह के अपराध को दोहरा रहे हैं. मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म हो रहे हैं. वोसरकार से मांग करती हैं कि इन दोषियों को जल्द से जल्द फांसी के फंदे पर लटकाया जाए ताकि इस तरह का अपराध करने वालों के दिल में कानून का खौफ हो.