नई दिल्ली:कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन को 20 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. किसान लगातार केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं. इसी बीच बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि कृषि कानूनों से केवल किसान ही नहीं, बल्कि हर वर्ग प्रभावित होगा.
बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही किसान आंदोलन के चलते देशभर में व्यापार प्रभावित हो रहा है. खासतौर पर राजधानी में सामान की आवाजाही नहीं हो पा रही है. इसको लेकर व्यापारियों ने एक समिति बनाई है, जिसका नेतृत्व बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही कर रहे हैं.
नरेश सिरोही नए कृषि कानूनों से जुड़े अहम मुद्दों को जहां एक तरफ व्यापारियों के बीच रखेंगे, वहीं दूसरी तरफ किसानों के बीच इन कृषि कानूनों को लेकर सामने आ रही आशंकाओं को भी दूर करने का प्रयास करेंगे.
नरेश सिरोही ने कहा-
कृषि कानूनों से न केवल किसान बल्कि हर वो उपभोक्ता प्रभावित होगा, जो किसानों से लेनदेन करता है और किसानों द्वारा उगाई जाने वाली फसल को व्यापारियों तक पहुंचाता है. ये सभी लोग इससे जुड़े हुए हैं. ऐसे में नवगठित ये समिति आपस में चर्चा करेगी और किसानों की समस्याओं को सरकार तक पहुंचाएगी. इससे जल्द से जल्द सरकार और किसानों के बीच पैदा हुए इस गतिरोध को खत्म किया जा सकेगा.
'कृषि क्षेत्र में बदलाव की आवश्यकता'
बीजेपी किसान मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नरेश सिरोही ने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है. ऐसे में हर क्षेत्र में जिस प्रकार बदलाव की आवश्यकता होती है, ठीक उसी प्रकार कृषि क्षेत्र में भी बदलाव की बेहद आवश्यकता है. इससे किसान को उसकी फसल का सही मूल्य मिल सकेगा और किसान जो इस वक्त घाटे की खेती कर रहा है, उसे लाभ की खेती में बदला जा सकेगा.
'किसान को मिले सही मूल्य'
नरेश सिरोही ने कहा कि किसान जिस एमएसपी की मांग कर रहा है, सरकार को उसे तय करना चाहिए, क्योंकि सरकार द्वारा एमएसपी तय तो हो जाता है, लेकिन उसे मिल नहीं पाता. ऐसे में किसानों, मंडियों और सरकार के बीच में जो बिचौलिए हैं, वो कहीं ना कहीं सही मूल्य किसानों तक नहीं पहुंचने देते. किसानों के लिए एक समान मूल्य एक टैक्स होना चाहिए.
'राजनीतिक दल कर रहे राजनीति'
नरेश सिरोही ने कहा कि किसान आंदोलन को 20 दिन से ज्यादा हो चुके हैं. ऐसे में कहीं ना कहीं कुछ राजनीतिक पार्टियां किसान आंदोलन के चलते अपनी राजनीतिक रोटियां सेकने में लगी हुई हैं. ऐसे में उन पार्टियों को समझना चाहिए कि किसान हमारा अन्नदाता है, वो अपनी आजीविका के लिए सड़कों पर बैठा है. वो उनके मुद्दों को लेकर अपनी राजनीति ना करें.
इसके साथ ही जो किसान नेता इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे हैं, वो भी ये सुनिश्चित करें कि कोई भी राजनीतिक दल इस किसान आंदोलन का फायदा ना उठाए.