नई दिल्ली: आज से ठीक 7 साल 3 महीने और 4 दिन पहले देश की राजधानी दिल्ली में चलती बस में एक लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना ने देश का सिर शर्म से नीचा कर दिया था. इस केस को निर्भया केस का नाम दिया गया. दुष्कर्म के दोषी सभी आरोपी 5 दिनों के अंदर पुलिस की गिरफ्त में आ गए थे. लेकिन कानूनी दांवपेच का ऐसा मामला फंसा रहा कि आज जाकर निर्भया कांड के 4 दोषियों को फांसी दी गई.
राजपथ और विजय चौक से उठी थी मांग
निर्भया कांड को लेकर दिल्ली ही नहीं देशभर में लोगों के अंदर गुस्सा था. इस कांड के दोषियों के खिलाफ सख्त से सख्त सजा देने की मांग दिल्ली के राजपथ और विजय चौक पर एकत्रित होकर लोगों ने की थी. इस जघन्य घटना की वजह से पूरा देश एकजुट हो पीड़ित लड़की निर्भया के समर्थन में सड़कों पर उतरा था. ऐसा विरोध प्रदर्शन किया कि ये इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गया.
10 दिनों तक सड़कों पर होता रहा विरोध प्रदर्शन
वहीं सफदरजंग अस्पताल में पीड़िता इलाज करा रही थी और यहां दोषियों को फांसी की सजा, मौत की सजा देने की मांग हो रही थी. दोषियों को फांसी दिए जाने की मांग को लेकर प्रदर्शनकारी इंडिया गेट और विजय चौक पर डटे रहे.
तत्कालीन सीएम शीला दीक्षित के घर से हुई थी प्रदर्शन की शुरुआत
16 दिसंबर 2012 को हुई सामूहिक दुष्कर्म की इस नृशंस घटना ने सभी को झकझोर दिया था. सभी के दिल में एक ही बात थी, बस बहुत हुआ, अब रुकना चाहिए. 18 दिसंबर 2012 को इस मामले की गूंज संसद में भी सुनाई दी.