नई दिल्ली:दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी के यमुना बाढ़ राहत शिविरों में लोगों के लिए मुफ्त राशन, चिकित्सा सहायता, स्वच्छता प्रावधान सहित अन्य राहत उपायों की मांग करने वाली एक जनहित याचिका पर दिल्ली सरकार से एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी की खंडपीठ ने अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय के पूर्व सहायक प्रोफेसर आकाश भट्टाचार्य की याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है. याचिका वकील केआर शियास के माध्यम से दायर की गई है.
भट्टाचार्य ने दलील दी है कि यमुना क्षेत्र में आई बाढ़ वर्ष 1978 के बाद से दिल्ली में आई सबसे विनाशकारी आपदा है. शुरुआत में दिल्ली सरकार के स्थायी वकील संतोष कुमार त्रिपाठी ने जनहित याचिका पर आपत्ति जताई और कहा कि मामले में सुनवाई से पहले ही याचिका मीडिया में प्रसारित की गई थी. त्रिपाठी ने कहा कि अधिकारियों से संपर्क किए बिना, बाढ़ क्षेत्र का दौरा किए बिना, याचिका दायर की गई है. उन्होंने कहा कि सरकार ने बाढ़ से प्रभावित लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने का निर्णय पहले ही ले लिया है और प्रत्येक बाढ़ राहत शिविर में बुनियादी सुविधाएं मौजूद हैं.
इसे वास्तविक कारण बताते हुए अदालत ने मामले को 13 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है. साथ ही दिल्ली सरकार से प्रभावित लोगों को उपलब्ध कराई जाने वाली बुनियादी सुविधाओं को लेकर विस्तृत प्रतिक्रिया दाखिल करने को कहा.