नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने जामिया हिंसा मामले में जांच की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टाल दिया है. मामले की अगली सुनवाई 22 दिसंबर को होगी. पहले की सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि पुलिस को हिंसा पर काबू करने के लिए जामिया यूनिवर्सिटी में घुसना पड़ा था.
'अनावश्यक ज्यादा देरी नहीं की जानी चाहिए'
पिछले 6 नवंबर को सुनवाई के दौरान जब कोर्ट को ये बताया गया कि तुषार मेहता दूसरे केस में व्यस्त हैं, तब याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ वकील कॉलिन गोंजाल्वेस ने इसका विरोध करते हुए कहा था कि इस मामले में एएसजी अमन लेखी पहले ही दिल्ली पुलिस की ओर से लंबी दलीलें रखी थीं. उन्होंने कहा था कि इस मामले में अनावश्यक ज्यादा देरी नहीं की जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इस मामले में देरी की वजह से दिल्ली हिंसा के मामले की सुनवाई में भी देरी हो रही है.
'शांति स्थापित करने के लिए किसी बल का प्रयोग किया जा सकता है'
पिछले 9 अक्टूबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि पुलिस को हिंसा पर काबू करने के लिए जामिया यूनिवर्सिटी में घुसना पड़ा था. पिछले 18 सितंबर को सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से एएसजी अमन लेखी ने जामिया हिंसा की जांच दिल्ली पुलिस से हटाकर दूसरी एजेंसी को सौंपने का विरोध किया था. लेखी ने कहा कि वहां गैरकानूनी भीड़ थी और वो कोई साधारण भीड़ नहीं थी.
लेखी ने गैरकानूनी भीड़ पर बलप्रयोग को लेकर एक फैसले का उदाहरण दिया था. उन्होंने कहा था कि पुलिस किसी गैरकानूनी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए बल का प्रयोग कर सकती है. उन्होंने कहा था कि पुलिस को भीड़ हटाने का आदेश मिला हुआ था और भीड़ हिंसा कर रही थी. वहां शांति स्थापित करने का सवाल था और शांति स्थापित करने के लिए किसी बल का प्रयोग किया जा सकता है.
पिछले 28 अगस्त सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कहा था कि अनियंत्रित भीड़ पर पुलिस का हस्तक्षेप जरूरी था. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने दिल्ली पुलिस की ओर से सीलबंद लिफाफे में दी गई सीसीटीवी फुटेज को देखने की मांग की थी. अमन लेखी ने कहा था कि उकसाने की कार्रवाई के बावजूद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया.