नई दिल्ली : मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) ने भारतीय नोटों पर गणेश और लक्ष्मी की फोटो (photo of ganesh and lakshmi on currency notes) छापने की अपील को व्यापारिक संगठन ने राजनीति से प्रेरित करार दिया है. इंडोनेशिया की तर्ज पर भारतीय नोटों पर भी लक्ष्मी गणेश की फोटो लगाने को लेकर कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ आल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) ने पूरी तरह से गलत बताया है.
कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया और राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि भारतीय नोटों पर हिन्दू देवी देवताओं की फोटो (Hindu deities on Indian currency notes) लगाना सरासर गलत है. क्योंकि भारत में नोटों को बहुत गलत तरीके से प्रयोग किया जाता है. ऐसे में हमारी करेंसी पर मां लक्ष्मी और गणेश की फोटो लगाकर हम सनातन धर्म के प्रथम पूजनीय भगवान का निरादर करेंगे.
दरअसल, करेंसी नोटों को लोग कैसे भी इस्तेमाल करते हैं, लोग करेंसी नोटों को अपनी जेबो में रखते हैं, गंदे हाथों से छूते हैं, यहां तक कि कुछ लोग नोटों को गिनते समय थूक का भी प्रयोग करते हैं. ऐसे में हमारे देवी देवताओं की नोटों पर लगाकर हम न केवल उनका अपमान करेंगे, बल्कि सनातन धर्म को भी अपमानित करेंगे. इसलिए यह जरूरी है कि इस तरह के किसी भी अपील या सुझाव को कोई अहमियत न दी जाए.
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उन्होंने कहा कि केजरीवाल का यह बयान अपने राजनीतिक स्वार्थ को साधने की कोशिश है, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है. भरतिया और खंडेलवाल ने कहा कि इंडोनेशिया ने अपने 20,000 रुपए के नोट पर भगवान गणेश की फोटो लगाई है, वो भी गलत. हम उसकी भी निंदा करते हैं. एक हिन्दू राष्ट्र के तौर पर यह जिम्मेदारी हमारी है कि हम यह संदेश पूरे विश्व को दे कि हमरे देवी देवता पूजनीय है और उनका इस तरीके से अपमान करना जायज नहीं है. दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि केजरीवाल अपने बेतुके बयानबाजी के लिए पहले से जाने जाते हैं, पर इस बार उन्होंने सारी मर्यादा लांघ दी है, जो बर्दाश्त नहीं की जाएगी.
कालकाजी पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत वहीं, कालकाजी पीठाधीश्वर सुरेंद्रनाथ अवधूत ने कहा कि अरविंद केजरीवाल के द्वारा भारत के मुद्रा पर लक्ष्मी-गणेश की फोटो छापने की मांग शुद्ध राजनीति है. उन्होंने हिंदुओं को रिझाने के लिए ऐसा बयान दिया है जबकि समय-समय पर वे हिंदू विरोधी कार्य करते रहें हैं. दूसरे राज्य में जाकर अखलाक के परिजनों से मिलते हैं, लेकिन राजधानी दिल्ली में हिंदू पीड़ित से नहीं मिलते हैं. मौलानाओं को सैलरी देते हैं अब वह देख रहे हैं कि गुजरात में चुनाव है तो हिंदुओं के वोटों को अपने तरफ करने के लिए ऐसा बयान दे रहे हैं यह एक शुद्ध राजनीति है.
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