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अवैध किडनी खरीद-फरोख्त मामले के आरोपों को अपोलो अस्पताल ने किया खारिज, जानें पूरा मामला

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Dec 6, 2023, 11:33 AM IST

Cash for kidney scam: दिल्ली के अपोलो हॉस्पिटल्स पर म्यांमार के गरीब ग्रामीणों से जुड़े अवैध अंग व्यापार का हिस्सा होने का आरोप लगा है. मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार की संबंधित एजेंसी और नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन नाटो ने मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.

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नई दिल्ली:कैश फॉर किडनी रैकेट मामले में 2016 के बाद एक बार फिर अपोलो हॉस्पिटल जांच के दायरे में आ गया है. लंदन के प्रतिष्ठित अखबार द टेलीग्राफ ने इस अस्पताल पर पैसे के बदले किडनी की खरीद फरोख्त मामले में घसीटा है. अंतर्राष्ट्रीय मामला होने के कारण केंद्र सरकार की संबंधित एजेंसी और अंगदान के लिए काम करने वाली नेशनल ऑर्गन एंड टिशु ट्रांसप्लांटेशन ऑर्गेनाइजेशन नाटो ने तुरंत मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच के आदेश जारी कर दिए हैं.

अपोलो ने सभी आरोपों को नकारा:अपोलो अस्पताल ने आधिकारिक तौर पर अपना पक्ष रखा है और आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए कहा है कि, "अस्पताल ट्रांसप्लांट प्रक्रिया को लेकर बने सारे कानूनी प्रावधानों का पालन करता है. सरकार की ओर से जो भी गाइडलाइन दी गई है उसे ध्यान रखा जाता है. इसी बीच अस्पताल ने म्यांमार ऑपरेशन्स के अपने हेड को सस्पेंड कर दिया है. यह एक्शन अंडरकवर रिपोर्टर से कथित तौर पर बात करने और गैरकानूनी तरीके से किडनी ट्रांसप्लांट के बारे में बताने को लेकर लिया गया है.

एक सप्ताह के अंदर देना होगा रिपोर्ट:नैटो के निदेशक, डॉ. अनिल कुमार ने दिल्ली सरकार के प्रधान सचिव (स्वास्थ्य) को पत्र लिखकर मामले की जांच कराने, मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओटीए) 1994 के प्रावधानों के अनुसार उचित कार्रवाई करने और एक कार्रवाई रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए लिखा है. इस संबंध में एक सप्ताह के अन्दर रिपोर्ट देने को कहा है. बता दें कि मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम (टीएचओटीए), 1994 अध्याय IV, धारा 13 (3) (iv) के अनुसार) , सचिव (स्वास्थ्य), दिल्ली सरकार, मामले की जांच और जांच करने केलिए एनसीटी दिल्ली के लिए उपयुक्त प्राधिकारी हैं.

डॉ. संदीप गुलेरिया पर गंभीर आरोप:डॉ. कुमार ने एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें अपोलो अस्पताल, दिल्ली और डॉ. संदीप गुलेरिया पर किडनी रैकेट चलाने में शामिल होने का आरोप लगाया गया है, जिसमें म्यांमार के गरीब लोगों को लाभ के लिए उनके अंग बेचने के लिए लुभाया जा रहा है. रिपोर्ट में इस बात पर जोर दिया गया है कि ऐसी गतिविधियां आर्थिक रूप से कमजोर व्यक्तियों के स्वास्थ्य और कल्याण के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकती हैं.

ये है पूरा मामला:द टेलीग्राफ अखबार ने दावा किया कि उसे इस कथित रैकेट की जानकारी खुद म्यांमार के शख्स ने दी. 58 वर्षीय इस मरीज ने बताया कि उसने सितंबर, 2022 में अपनी एक किडनी बेची थी जिसके बदले उसे 8 मिलियन क्यात (म्यांमार की करेंसी क्यात) मिला. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यह ट्रांसप्लांटेशन दिल्ली के अस्पताल में हुआ था. इस मामले में किडनी डोनर इसे लेने वाले मरीज के लिए पूरी तरह से अनजान था. लंदन के इस न्यूजपेपर रिपोर्ट के अनुसार म्यांमार के गरीब लोगों से किडनी खरीदी जाती है और उसे भारत के अमीर मरीजों के ट्रांसप्लांट के लिए इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि, अपोलो हॉस्पिटल की ओर से न्यूजपेपर के इस दावे को पूरी तरह से गलत बताया गया है. अपोलो के प्रवक्ता ने कैश फॉर-किडनी रैकेट में हॉस्पिटल की किसी भी तरह की भागीदारी से इनकार किया है. उन्होंने कहा कि टेलीग्राफ की रिपोर्ट एकदम गलत और भ्रामक है.

भारत में अंगों की खरीद-फरोख्त एक बड़ा बिजनेस-द टेलीग्राफ:द टेलीग्राफ अखबार का कहना है कि भारत में शरीर के अंगों की खरीदारी गैरकानूनी है, मगर हमारे रिपोर्टर को म्यांमार के एक बिचौलिए ने बताया कि यहां पर यह बड़ा बिजनेस बन चुका है. रिपोर्ट के मुताबिक, इस प्रक्रिया में फर्जी डॉक्यूमेंट्स और फैमिली फोटोग्राफ तैयार किए गए ताकि डोनर्स को मरीज का रिश्तेदार दिखाया जा सके. दरअसल, भारत में जो कानून है उसमें कहा गया है कि मरीज सामान्य परिस्थितियों में किसी अनजान व्यक्ति से कोई ऑर्गन दान में नहीं ले सकता. इसलिए किडनी या अन्य अंगों के ट्रांसप्लांट में मरीजों को या तो अपने परिवार, रिश्तेदार पर डिपेंड रहना पड़ता है या फिर उसे विदेश जाकर ट्रांसप्लांट कराना पड़ता है.

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