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आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने छात्रों की CBSE परीक्षा फीस भरी, अभिभावकों को राहत

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Published : Oct 13, 2020, 7:38 AM IST

कोरोना और लॉकडाउन के कारण फीस माफी की लगातार मांग कर रहे अभिभावकों को राहत देते हुए आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने मोतीबाग सर्वोदय स्कूल के दसवीं और बारहवीं के छात्रों की सीबीएसई की परीक्षा फीस भरी है. साथ ही सीबीएसई से फीस माफ करने की मांग की.

All India Parents Association paid CBSE examination fees of Motibagh Sarvodaya School students
आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने मोतीबाग सर्वोदय स्कूल के छात्रों की CBSE परीक्षा फीस भरी

नई दिल्ली: आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन ने दिल्ली के मोतीबाग स्थित सर्वोदय सीनियर सेकेंड्री स्कूल के दसवीं और बारहवीं के छात्रों की सीबीएसई की परीक्षा की फीस आम लोगों से पैसे वसूल कर स्कूल प्रशासन को सौंपी है. एसोसिएशन ने दसवीं और बारहवीं के सभी छात्रों की परीक्षा फीस के रुप में चार लाख चालीस हजार रुपये स्कूल प्रशासन को सौंपा.

अभिभावकों के पास फीस भरने को पैसे नहीं हैं

आल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष और वकील अशोक अग्रवाल के नेतृत्व में चार लाख चालीस हजार रुपये का चेक स्कूल प्रशासन को सौंपा गया. अशोक अग्रवाल का कहना है कि कोरोना के संकट के दौर में सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों के अभिभावकों के पास इतने पैसे नहीं हैं कि वे अपने बच्चों की सीबीएसई की परीक्षा के फीस दे सकें. उन्होंने सीबीएसई से सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले दसवीं और बारहवीं के सभी छात्रों की परीक्षा फीस माफ करने की मांग की.

अभिभावकों की आमदनी कम हो गई है

अशोक अग्रवाल ने दिल्ली सरकार से मांग की कि वो इस मसले पर गंभीरता से विचार करें कि छात्रों की परीक्षा फीस सरकार भरे. उन्होंने कहा कि कोरोना के संकट के दौर में जब छात्रों के अभिभावकों की आमदनी कम हो गई है और उनकी नौकरियां चली गई हैं. ऐसे में सरकार को आगे आना चाहिए. लेकिन आम लोग आगे आ रहे हैं.

हाईकोर्ट में भी दायर की थी याचिका

बता दें कि अशोक अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए पिछले 28 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र और दिल्ली सरकार को निर्देश दिया था कि वो दसवीं और बारहवीं के छात्रों को इस सत्र का परीक्षा फीस माफ करने की मांग करने वाली याचिका पर विचार करे और कानून के मुताबित फैसला करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार को इस याचिका पर तीन हफ्ते के अंदर फैसला करने का निर्देश दिया था.

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