नई दिल्ली: शाहदरा जिला की साइबर पुलिस ने पेटीएम केवाईसी अपडेट कराने का झांसा देकर पेटीएम अकाउंट हैक कर चीटिंग करने वाले गैंग का भंडाफोड़ किया है. साइबर पुलिस ने झारखंड के देवघर से गैंग के दो सदस्यों को गिरफ्तार किया है. डीसीपी रोहित मीणा ने बताया कि गिरफ्तार आरोपी की पहचान झारखंड निवासी शैलेश और अजय कुमार के तौर पर हुई है. बताया कि शिकायतकर्ता देवेंद्र जैन ने आरोप लगाया था कि उन्हें मोबाइल से एक कॉल आई. कॉलर ने खुद को पेटीएम एग्जीक्यूटिव बताया और उन्हें पेटीएम केवाईसी अपडेट करने के लिए कहा. पेटीएम केवाईसी के लिए कॉलर की तरफ से एक एपीके फ़ाइल भेजी गई. फ़ाइल अपडेट करने के लिए जैसे ही उसने फाइल डाउनलोड की, उनका पेटीएम खाता हैक हो गया और शिकायतकर्ता के पेटीएम से तुरंत एक लाख नौ हजार 999 रुपये ट्रांसफर हो गए.
मामले की गंभीरता को देखते हुए एसीपी मोहिंदर सिंह की देखरेख में एक टीम का गठन किया गया. साइबर पुलिस स्टेशन की टीम ने बैंकिंग विवरण खंगाला, जिसमें धोखाधड़ी की राशि को अन्य पेटीएम खातों में ट्रांसफर किया गया था. जिन्हें आरोपी व्यक्तियों द्वारा हैक किया गया था और इन पेटीएम खातों से धोखाधड़ी की राशि को एचडीएफसी और एसबीआई खाते में स्थानांतरित कर दिया गया था.
पेटीएम अकाउंट हैक कर चीटिंग करने वाले गैंग का भंडाफोड़, दो आरोपी गिरफ्तार - Paytm account hacking gang busted
दिल्ली पुलिस ने पेटीएम केवाईसी अपडेट कराने का झांसा देकर पेटीएम अकाउंट हैक कर चीटिंग करने वाले गैंग का भंडाफोड़ करते हुए दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है.
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इसके बाद बैंक विवरणों का विश्लेषण किया गया. पाया गया कि देवघर, झारखंड से नकद अधिकतम राशि निकाली गई थी. इसके बाद बैंक लेनदेन के आईपीडीआर का विश्लेषण किया गया और सीडीआर का विश्लेषण किया गया. जिसमें यह देखा गया कि लेनदेन सारठ क्षेत्र, देवघर से शुरू किए गए थे. इसके बाद टीम ने गांव- रंगा मटिया, पीएस- सारठ में छापा मारकर शैलेश और अजय कुमार को गिरफ्तार कर उनके पास से केस प्रॉपर्टी यानी सिम कार्ड और मोबाइल फोन जब्त किया गया. जांच के दौरान यह पता चला कि उन्होंने अपना मोबाइल नंबर पेटीएम के कार्यकारी के रूप में ट्रू कॉलर पर सेव किया है. और उसी नंबर से पीड़ितों को फोन किया जाता ताकि उन्हें शक न हो.
कॉल के दौरान वे पीड़ित व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर एपीके फाइल भेजते और उसे पेटीएम के केवाईसी को पूरा करने के लिए एपीके फाइल डाउनलोड करने के लिए कहते. ऐसा नहीं करने पर उनका पेटीएम खाता ब्लॉक होने का डर दिखाया जाता. एपीके फाइल डाउनलोड करने के बाद पीड़ित व्यक्ति का पेटीएम खाता हो जाता और पीड़ित के पेटीएम खाते में उपलब्ध राशि को अन्य बैंक खातों में ट्रांसफर कर लिया जाता.
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