नई दिल्ली: ईद मनाने से पहले रमजान के पाक महीने में मुसलमान गरीबों को फितरा देते हैं. कहा जाता है कि फितरा हर सक्षम मुसलमान को देना जरूरी होता है. बिना फितरा दिए ईद नहीं मनाई जा सकती है.
क्या होता है फितरा
फितरा एक तरह का दान होता है जो हर सक्षम मुसलमान के लिए जरूरी है. चाहे वह बच्चा हो, बूढ़ा हो, औरत हो या लड़की हो. रमजान के महीने में ईद मनाने से पहले हर मुसलमान व्यक्ति को 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या उसकी कीमत के बराबर राशि गरीबों में बांटनी होती है. जिसे फितरा कहते हैं. माना जाता है कि हर मुसलमान को फितरा देना होता है.
फितरा कब और कितना देना चाहिए
फितरा ईद से पहले दिया जाता है, ताकि फितरे में दी गई राशि या अनाज से गरीब और बेसहारा लोग भी अपनी ईद मना सकें. प्रत्येक मुसलमान को फितरे में 2 किलो 45 ग्राम गेहूं या उसके बराबर की राशि जरूरतमंद इंसान को देनी होती है.
कौन होता है फितरे का हकदार
फितरा किसी भी गरीब, बेसहारा और जरूरतमंद को दिया जा सकता है. हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो शर्म के कारण फितरा नहीं लेते हैं. ऐसे बेसहारा लोगों को ईदी कहकर फितरा दिया जा सकता है. फितरा देने और लेने वाले दोनों व्यक्तियों का भला होता है. फितरा देकर इंसान पुण्य तो कमाता ही है वहीं दूसरी तरफ फितरा लेकर गरीब इंसान अपनी ईद भी खुशी से मना पाता है