Delhi NCR में सांसों पर आफत: 400 पार पहुंचा प्रदूषण, Dark Red Zone में कई इलाकोंं का AQI - pollution increased again in delhi ncr
देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण (pollution in Delhi NCR) से स्थिति फिर खराब होती जा रही है. कई इलाकों का वायु गुणवत्ता सूचकांक फिर रेड जोन में पहुंच गया है. बुधवार सुबह एनसीआर के कई इलाकों में हल्की धुंध की चादर भी देखी गई.
Dark Red Zone में कई इलाकोंं का AQI
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Published : Nov 30, 2022, 7:52 AM IST
नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर (Delhi pollution level rises) के कई इलाकों में बुधवार को प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी (400-500 AQI) में दर्ज किया गया है. आने वाले दिनों में अगर प्रदूषण में और बढ़ोतरी होती है तो लोगों को स्वास्थ संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. फिलहाल दिल्ली के कई इलाकों का प्रदूषण स्तर गंभीर श्रेणी और अत्यंत खराब श्रेणी में बरकरार है. वहीं दिल्ली के अलग-अलग इलाकों का प्रदूषण स्तर इस प्रकार है-
अलीपुर
399
शादीपुर
394
द्वारका
371
डीटीयू दिल्ली
390
आईटीओ दिल्ली
346
सिरिफ्फोर्ट
359
मंदिर मार्ग
352
आरके पुरम
377
पंजाबी बाग
423
आया नगर
313
लोधी रोड
256
नॉर्थ केंपस डीयू
359
सीआरआरआई मथुरा रोड
324
पूसा
313
आईजीआई एयरपोर्ट टर्मिनल 3
353
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम
362
नेहरू नगर
411
द्वारका सेक्टर 8
399
पटपड़गंज
391
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज
367
अशोक विहार
400
सोनिया विहार
394
जहांगीरपुरी
421
रोहिणी
415
विवेक विहार
404
नजफगढ़
313
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम
400
ओखला फेज टू
364
वजीरपुर
412
बवाना
410
श्री औरबिंदो मार्ग
343
मुंडका
393
आनंद विहार
417
IHBAS दिलशाद गार्डन
296
वहीं गाजियाबाद के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-
वसुंधरा
388
इंदिरापुरम
306
संजय नगर
305
लोनी
317
उधर नोएडा के इलाकों में प्रदूषण का स्तर इस प्रकार है-
सेक्टर 62
399
सेक्टर 125
289
सेक्टर 1
297
सेक्टर 116
348
Air quality Index की श्रेणी: एयर क्वालिटी इंडेक्स (Air Quality Index) जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. वहीं 51-100 को 'संतोषजनक', 101-200 को 'मध्यम', 201-300 को 'खराब', 301-400 को 'अत्यंत खराब', 400-500 को 'गंभीर' और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों के मुताबिक हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम पीएम के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो और डाइऑक्साइड आदि सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने के जिम्मेदार हैं.
(PM) 2.5 और (PM) 10 की बढ़ोतरी:वरिष्ठ सर्जन डॉ बीपी त्यागी बताते हैं कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 समेत कई प्रकार की गैस (सल्फरडाइऑक्साइड, कार्बनडाइऑक्साइड, नाइट्रस ऑक्साइड) की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और (PM) 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस (Sinus) में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से (Bronchioles) तक पहुंच जाते हैं.
Sinusitis और Bronchitis का खतरा: डॉ त्यागी के मुताबिक, पार्टिकुलेट मैटर साइनस में जब अधिक मात्रा में इकट्ठे होते हैं तब साइनोसाइटिस (Sinusitis) का खतरा बढ़ जाता है. जब यह कण फेफड़ों के आखिरी हिस्से तक पहुंचते हैं तो उससे ब्रोंकाइटिस (Bronchitis) का खतरा बढ़ जाता है. ब्रोंकाइटिस के चलते शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह कम हो जाता है, जिससे कि शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम हो जाती है. वहीं शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा कम होने पर कई प्रकार की परेशानी सामने आती है.