दिल्ली

delhi

देवांगना कलीता मामला: दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित

By

Published : Jul 16, 2020, 7:30 PM IST

हाईकोर्ट ने देवांगना कलीता से संबंधित कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक करने के मामले में दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है.

delhi high court
दिल्ली हाईकोर्ट

नई दिल्ली:दिल्ली हाईकोर्ट ने देवांगना कलीता से संबंधित कुछ खास सूचनाएं मीडिया को लीक करने के मामले में दिल्ली पुलिस के खिलाफ दायर याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया है. जस्टिस विभू बाखरु की बेंच ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया.

देवांगना कलीता का मामला
'प्रेस नोट प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए नहीं'

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कहा कि कलीता के बारे में विवादित प्रेस नोट उसकी प्रतिष्ठा पर किसी तरह के हमले के इरादे से जारी नहीं किया गया था बल्कि उस प्रक्रिया में सुधार के लिए था जिसके जरिए संस्थान पर आरोप लगाकर उसकी विश्वसनीयता को खतरे में डाला जा रहा था. क्राइम ब्रांच ने हाईकोर्ट से कहा कि विवादित नोट किसी खास मीडिया के साथ शेयर नहीं किया गया था बल्कि यह प्रेस रिलीज का हिस्सा था, जो व्हॉट्स के जरिए पुलिस के जनसंपर्क अधिकारी ने सारी मीडिया के साथ शेयर किया था. क्राइम ब्रांच ने कहा कि इस प्रेस नोट के जरिये याचिकाकर्ता की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने का इरादा नहीं था.


दिल्ली पुलिस को लगाई थी फटकार

पहले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने क्राइम ब्रांच की ओर से दायर हलफनामे पर दिल्ली पुलिस को कड़ी फटकार लगाई थी. जस्टिस विभू बाखरु की बेंच ने कहा कि हमने जो हलफनामा मांगा था वह हलफनामा दाखिल नहीं किया गया है. कोर्ट ने कहा था कि हलफनामे में किसी भी व्यक्ति को सूचनाएं लीक करने का जिम्मेदार नहीं माना गया है. यह हमारे पिछले आदेश के रिकॉर्ड में है. कोर्ट ने कहा था कि हमने अपने आदेश में संबंधित डीसीपी को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था. हम ये जानना चाहते थे कि प्रेस नोट आधिकारिक तौर पर जारी किया गया था कि ये किसी की सोची समझी योजना थी.


'हलफनामा मीडिया को शेयर करने पर आपत्ति'

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील अदीत एस पुजारी ने पुलिस के हलफनामे को मीडिया में प्रसारित करने पर आपत्ति जताई थी. पुजारी ने कहा था कि जब इस मामले पर पहले से अंतरिम आदेश है तो पुलिस ऐसा कैसे कर सकती है. तब कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं करना चाहिए था.


'नागरिकों और पत्रकारों को जानने का हक'

पिछले 7 जुलाई को दिल्ली पुलिस ने अपना जवाब दाखिल किया था. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि नागरिकों और पत्रकारों का ये अधिकार है कि वे ये जानें कि समाज में क्या हो रहा है. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि देवांगन ने मीडिया कैंपेन चलाकर आम लोगों की सहानुभूति अर्जित करने की कोशिश की. ऐसा कर कलीता ने निष्पक्ष ट्रायल में बाधा डालने की कोशिश की. दिल्ली पुलिस ने कहा था कि 2 जून को जो संक्षिप्त नोट जारी किया गया वो आम लोगों और पत्रकारों को जानने के अधिकार के तहत था. राजनीतिक अभियान चलाया जा रहा था कि पुलिस एक खास समुदाय को निशाना बना रही है. इस परिस्थिति में लोगों को जानकारी देना जांच एजेंसी के लिए जरुरी था.

ABOUT THE AUTHOR

...view details