नई दिल्ली: दुष्कर्म और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण आदेश दिया है. दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि ऐसे गंभीर मामलों को मध्यस्थता से नहीं निपटाया जा सकता है. ऐसे मामलों में मानसिक दबाव होता है.
हाईकोर्ट ने पांच अलग-अलग मामलों की सुनवाई करते हुए ये दिशानिर्देश जारी किया है. जस्टिस आर के गौबा ने क्रेडिट कार्ड की धोखाधड़ी से जुड़े चार मामलों में भी दर्ज एफआईआर को निरस्त करने की मांग को खारिज करते हुए ये आदेश दिया है.
'समाज पर पड़ता है प्रभाव'
दिल्ली हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया है कि अपराधों की गंभीरता और अभियुक्तों के आचरण और उनका समाज पर पड़ने वाले प्रभाव को देखते हुए ही अपराधों की मध्यस्थता से निपटारे की अनुमति दी जा सकती है.